कामदा एकादशी 2025 | Kamada Ekadashi 2025

कामदा एकादशी 2025 | Kamada Ekadashi 2025

कामदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत अपनी इच्छाओं की पूर्ति और मनोकामनाओं की सिद्धि के लिए किया जाता है। विशेष रूप से, यह व्रत पापों से मुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। कामदा एकादशी का व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है, जो सांसारिक सुखों, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

कामदा एकादशी व्रत की महिमा (Kamada Ekadashi Vrat Ki Mahima)

पुराणों में वर्णित है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसे नकारात्मक भावनाओं से घिरा होता है, इस व्रत के प्रभाव से इनसे छुटकारा पा सकता है। भगवान विष्णु की उपासना के माध्यम से भक्त न केवल शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी करता है।

कामदा एकादशी 2025 की तिथि (Kamada Ekadashi 2025 Ki Tithi)

तिथि: 8 अप्रैल 2025 (मंगलवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2025 को शाम 8:00 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2025 को रात 9:12 बजे

व्रत पारण समय: 9 अप्रैल 2025 को सुबह 6:02 बजे से 8:34 बजे तक

कामदा एकादशी की कथा (Kamada Ekadashi ki Katha)

कामदा एकादशी से जुड़ी कथा का उल्लेख विष्णु पुराण में मिलता है। कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में नागलोक में ललित और ललिता नामक एक दंपत्ति रहते थे। ललित एक गंधर्व था और अपनी सुरीली गायन कला के लिए प्रसिद्ध था। एक दिन, नागराज की सभा में ललित ने अपने गायन से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया, लेकिन उसका ध्यान अपनी पत्नी ललिता पर था।

सभा के दौरान, एक अन्य नाग ने नागराज को यह बताया कि ललित का गायन पूरी तरह से समर्पित नहीं था। इससे क्रोधित होकर नागराज ने ललित को श्राप दिया कि वह राक्षस बन जाएगा। नागराज के श्राप से ललित तुरंत एक विकराल राक्षस में परिवर्तित हो गया।

अपनी पत्नी ललिता के लिए यह असहनीय स्थिति थी। वह अपने पति को श्राप से मुक्त कराने के लिए जंगलों में भटकने लगी। एक दिन, उसने ऋषि शृंगी से भेंट की और अपनी समस्या बताई। ऋषि ने उसे चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की आराधना करने का सुझाव दिया।

ललिता ने पूरे विधि-विधान से कामदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्होंने ललित को श्राप से मुक्त कर दिया। वह राक्षस रूप से गंधर्व के सुंदर स्वरूप में लौट आया। इस प्रकार, यह कथा इस व्रत की महिमा और इसके फलदायी प्रभाव को दर्शाती है।

कामदा एकादशी व्रत विधि (Kamada Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. स्नान और संकल्प: ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति को पीले वस्त्र पहनाकर, दीप, धूप और फल-फूल से पूजा करें।
  3. व्रत का पालन: दिनभर निराहार रहें और भगवान विष्णु के नाम का जप करें।
  4. रात्रि जागरण: रात को जागरण करते हुए विष्णु स्तुति और कथा का पाठ करें।
  5. पारण: अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को दान दें।

कामदा एकादशी का महत्व (Kamada Ekadashi Ka Mahatav)

कामदा एकादशी का महत्व केवल इच्छाओं की पूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को जीवन के सभी पापों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करने में भी सहायक है। यह व्रत भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में सफलता दिलाता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति एक संतुलित एवं सुखमय जीवन जीता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

कामदा एकादशी न केवल इच्छाओं की पूर्ति का व्रत है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और भगवान विष्णु के चरणों में समर्पित होने का अवसर भी प्रदान करता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से व्यक्ति अपने सभी दुखों से छुटकारा पाता है और उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है।

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