आमलकी एकादशी 2025 | Amalaki Ekadashi 2025

आमलकी एकादशी 2025 | Amalaki Ekadashi 2025

आमलकी एकादशी फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। यह व्रत व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है और उसे धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।

आमलकी एकादशी 2025 की तिथि (Amalaki Ekadashi 2025 Ki Tithi)

  • तिथि: 11 मार्च 2025 (मंगलवार)
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 10 मार्च को सुबह 6:12 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 11 मार्च को सुबह 8:30 बजे
  • व्रत पारण समय: 12 मार्च को सुबह 7:00 बजे से 9:10 बजे तक

आमलकी एकादशी का महत्व (Amalaki Ekadashi Ka Mahatav)

  1. धार्मिक महत्व: भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और पापों से मुक्ति के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: आंवले के वृक्ष को स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इसकी पूजा से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत जीवन में सुख, समृद्धि, और मोक्ष प्राप्ति का साधन है।

आमलकी एकादशी व्रत विधि (Amalaki Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  2. आंवले के वृक्ष की पूजा:
    • आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
    • वृक्ष पर जल अर्पित करें और हल्दी, चंदन, पुष्प, धूप-दीप से पूजा करें।
    • आंवले के फल का प्रसाद चढ़ाएं।
  3. भगवान विष्णु की पूजा:
    • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
    • दिनभर उपवास रखें और रात्रि में जागरण करें।
  4. व्रत कथा श्रवण: आमलकी एकादशी की पौराणिक कथा का पाठ करें या सुनें।
  5. पारण: द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें। गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।

आमलकी एकादशी की पौराणिक कथा (Amalaki Ekadashi ki Pauranik Katha)

पदम पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के मुख से एक चमकते हुआ “विंदु” का प्रकट हुआ, जो पृथ्वी पर गिरकर आमलकी (आवले )वृक्ष के रूप में विकसित हुआ। इसे सभी वृक्षों का आदिभूत कहा गया है।

ब्रह्माजी ने इस वृक्ष को देखकर देवताओं, ऋषियों, दानवों और अन्य प्राणियों की सृष्टि की। जब देवता और ऋषि इसे देखने आए, तो उनके मन में इस वृक्ष के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। तभी आकाशवाणी हुई कि यह भगवान विष्णु का प्रिय वृक्ष है। इसके स्मरण से गोदान का फल मिलता है, इसके स्पर्श से दोगुना और फल भक्षण से तिगुना पुण्य प्राप्त होता है।

आमलकी वृक्ष के हर भाग में देवताओं का वास माना गया है—

  • जड़ में: भगवान विष्णु।
  • तना: ब्रह्मा।
  • डालियाँ: शिव।
  • पत्ते: वसु।
  • फूल: मरुतगण।
  • फल: प्रजापति।

आमलकी एकादशी का व्रत सभी व्रतों में उत्तम व्रत हैं जो भी मनुष्य इस दिन विधि विधान से पूजा पाठ कर के भगवान विष्णु का ध्यान कर आमल के वृक्ष की पूजा करते है उन्हे उत्तम मनोरथ की प्राप्ति होती हैं |

निष्कर्ष (Conclusion)

आमलकी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करके व्यक्ति अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बना सकता है। इस व्रत का पालन सभी को करना चाहिए, ताकि भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त हो सके।

ओम नमो भगवते वासुदेवाय।

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