श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Shri Kashi Vishwanath Jyotirlinga) : 12 ज्योतिर्लिंगों में सातवां

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Shri Kashi Vishwanath Jyotirlinga) : 12 ज्योतिर्लिंगों में सातवां

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: शिव के परम धाम की महिमा (Shri Kashi Vishwanath Jyotirlinga : Shiv ke Param Dham Ki Mahima)

सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम । वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये ।।

अर्थात जो स्वयं आनंद कन्द हैं और आनंदपूर्वक आनन्द वन (वर्तमान में काशी) में वास करते हैं, जो पाप समूह के नाश करने वाले हैं, उन अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ की शरण में मैं जाता हूँ l

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirlinga) का अत्यंत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह ज्योतिर्लिंग वाराणसी (काशी) में स्थित है, जिसे दुनिया का सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का उल्लेख न केवल शिव पुराण में बल्कि अन्य हिंदू ग्रंथों में भी प्रमुखता से मिलता है। इसे भगवान शिव के त्रिलोकपति रूप का प्रतीक माना जाता है, जहां वे भक्तों को मुक्ति प्रदान करते हैं और उन्हें जीवन और मृत्यु के बंधनों से मुक्त करते हैं।

काशी: भगवान शिव का प्रिय धाम (Kashi: Bhagwan Shiv Ka Param Dham)

शिव पुराण के अनुसार, काशी भगवान शिव का प्रिय धाम है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस नगर की स्थापना की थी, और वे इसे कभी नहीं छोड़ते। यहां भगवान शिव अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करने के लिए सदा निवास करते हैं। काशी को अनादि और अविनाशी माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह स्थान सृष्टि के निर्माण से पहले भी था और इसके अंत के बाद भी रहेगा। शिव पुराण में वर्णन मिलता है कि जब सृष्टि का अंत होता है, तब भी काशी ध्वस्त नहीं होती, क्योंकि यह स्थान भगवान शिव की कृपा से शाश्वत बना रहता है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कथा (Shri Kashi Vishwanath Jyotirlinga Utpatti Katha)

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति से जुड़ी एक पौराणिक कथा शिव पुराण में विस्तार से वर्णित है। कथा के अनुसार, जब संसार में कुछ नही था तब भगवान ने प्रकृति और पुरुष की रचना की और उन्हें तप करने की आज्ञा दी किंतु तप के लिए कोई स्थान नहीं था, तब महादेव ने अंतरिक्ष में स्थित सभी सामग्रियों और सम्पूर्ण तेज के सारभूत से पांच कोस का एक नगर बनाया और प्रलयकाल में जब वह नगर डूबने लगा तब शिव ने उसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लिया l 

इसके बाद जब ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना की गई तब महादेव ने काशी को अपने त्रिशूल से उतारकर धरती लोक में स्थापित कर दिया l यह काशी नगरी लोक कल्याण करने वाली, कर्मबंधन का विनाश करने वाली, मोक्ष तत्व को प्रकाशित करने वाली तथा ज्ञान प्रदान करने वाली हैं l 

तत्पश्चात शिव जी ने अपने अंश अविमुक्त नामक लिंग को स्वयं स्थापित किया और उसे कभी भी काशी का त्याग न करने का आदेश दिया l ब्रह्मा जी का एक दिन पूरा होने पर अर्थात सृष्टि के प्रलयकाल के समय भी काशी का नाश संभव नही l 

कर्म के बंधनों का नाश करने के कारण ही इस नगरी को काशी नाम से जाना जाता है l  

श्री काशी विश्वनाथ का धार्मिक महत्व (Shri Kashi Vishwanath Dharmik Mahatav)

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इसे मोक्ष प्रदान करने वाला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि जो व्यक्ति काशी में अपने अंतिम समय में भगवान शिव का स्मरण करते हुए प्राण त्यागता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पुराण में बताया गया है कि काशी में मृत्यु को प्राप्त करने वाला व्यक्ति सीधे भगवान शिव के धाम को प्राप्त करता है और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है। इस कारण से लाखों लोग काशी में अपने अंतिम समय में भगवान शिव के दर्शन की इच्छा रखते हैं।

श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में  भगवान शिव की आराधना और पूजा का विशेष महत्व है। भक्त यहां प्रतिदिन बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं और उन्हें जलाभिषेक करते हैं। श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और वह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करता है। इसके अलावा, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि उसे मोक्ष का मार्ग भी मिलता है।

 श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला (Shri Kashi Vishwanath Mandir ki Vastukala)

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य और दिव्य है। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के प्रमुख शिखर पर स्वर्ण मण्डित गुंबद है, जिसे महाराजा रणजीत सिंह द्वारा दान किया गया था। मंदिर का मुख्य गर्भगृह अत्यंत पवित्र माना जाता है, जहां भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में विराजित है। मंदिर के चारों ओर विशाल प्रांगण है, जिसमें भगवान गणेश, देवी पार्वती और अन्य देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं।

मंदिर का गर्भगृह साधारण होता है, लेकिन उसकी दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा असीमित होती है। श्री विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की पूजा के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है, और उन्हें जलाभिषेक करने के लिए विशेष पद्धति अपनाई जाती है। मंदिर के चारों ओर तीर्थयात्रियों की चहल-पहल बनी रहती है, जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाती है।

गंगा नदी और श्री काशी विश्वनाथ (Ganga River Aur Shri Kashi Vishwanath)

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बहने वाली गंगा नदी का भी अत्यंत धार्मिक महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं गंगा को धरती पर लाकर काशी में प्रवाहित किया, ताकि उनके भक्त गंगा स्नान करके अपने पापों से मुक्त हो सकें। गंगा के तट पर स्नान करने के बाद, भक्त काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाते हैं। यहां स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

गंगा नदी के घाट पर “मणिकर्णिका घाट” विशेष रूप से प्रसिद्ध है, इसी घाट पर भगवान विष्णु के कान से मणि गिरी थी असली इसे मणिकर्णिका घाट कहा जाता हैं l  हिंदू धर्म के अनुसार इस घाट पर मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाता है। यह विश्वास है कि मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार करने से आत्मा को सीधे भगवान शिव के धाम में स्थान मिलता है, और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

श्री काशी विश्वनाथ यात्रा का उचित समय (Best Time to Travel Shri Kashi Vishwanath)

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की यात्रा के लिए पूरे वर्ष श्रद्धालु आते हैं, लेकिन यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का माना जाता है, जब मौसम सुखद रहता है। इसके अलावा, सावन का महीना और महाशिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भीड़ अत्यधिक होती है, क्योंकि इन दिनों में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और महाआरती का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होकर भक्तों को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म में आस्था और मोक्ष का प्रतीक है। शिव पुराण के अनुसार, यह भगवान शिव का निवास स्थान है, जहां वे अपने भक्तों को पापों से मुक्त करते हैं और उन्हें मोक्ष प्रदान करते हैं। यहां की धार्मिक आस्था, गंगा नदी का पवित्र स्नान और भगवान शिव के दिव्य ज्योतिर्लिंग का दर्शन भक्तों के लिए एक असीमित आशीर्वाद का स्रोत है। काशी विश्वनाथ की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है।

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप उनकी official website visit कर सकते हैं l 

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