निर्जला एकादशी 2025 | Nirjala Ekadashi 2025

निर्जला एकादशी 2025 | Nirjala Ekadashi 2025

निर्जला एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि महाभारत के पात्र भीम ने इस व्रत का पालन किया था। यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है और इसे वर्ष की सभी एकादशियों का फल देने वाला माना जाता है। इस दिन व्रती बिना जल ग्रहण किए व्रत करते हैं, इसलिए इसे “निर्जला” एकादशी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी 2025 की तिथि और समय (Nirjala Ekadashi 2025 ki Tithi Aur Samay)

  • तिथि आरंभ: 17 जून 2025, मंगलवार को सुबह 08:30 बजे।
  • तिथि समाप्त: 18 जून 2025, बुधवार को सुबह 10:15 बजे।
  • पारण का समय: 19 जून 2025 को सुबह 05:20 बजे से 08:05 बजे तक।

निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi Ka Mahatav)

  1. सभी एकादशियों का फल: यह व्रत अकेले सभी 24 एकादशियों का फल देने वाला माना जाता है।
  2. पापों से मुक्ति: व्रत करने से जीवन के सभी पापों का नाश होता है।
  3. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: व्रत से व्यक्ति के भीतर धर्म और भक्ति की भावना प्रबल होती है।
  5. दान का महत्व: इस दिन दान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)

महाभारत काल में, भीमसेन को अन्न और जल के बिना रहना कठिन लगता था। जब उन्होंने पंडित व्यासजी से इस समस्या का समाधान पूछा, तो उन्होंने कहा कि भीम यदि वर्षभर की एकादशियों का पालन नहीं कर सकते, तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखें।
भीम ने इस व्रत का पालन किया। बिना जल और भोजन के उन्होंने भगवान विष्णु की उपासना की। व्रत के प्रभाव से भीम को सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ। तभी से इसे “भीमसेनी एकादशी” भी कहा जाने लगा।

निर्जला एकादशी व्रत विधि (Nirjala Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल पवित्र स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें।
  2. पूजा विधि: भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं, पुष्प और तुलसी अर्पित करें।
  3. मंत्र जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें।
  4. निर्जल व्रत: पूरे दिन बिना जल और अन्न के रहें।
  5. दान का महत्व: इस दिन अन्न, वस्त्र, और जल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  6. पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करें।

निर्जला एकादशी के लाभ (Nirjala Ekadashi Ke Labh)

  1. सर्वश्रेष्ठ फल: यह व्रत 24 एकादशियों का पुण्य प्रदान करता है।
  2. पापों का नाश: व्रत से पाप कर्मों का नाश होता है।
  3. मोक्ष प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्त होता है।
  4. शरीर और आत्मा की शुद्धि: व्रत से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।
  5. आध्यात्मिक ऊर्जा: यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और भक्ति का संचार करता है।

निर्जला एकादशी के दिन क्या न करें? (Nirjala Ekadashi Ke Din Kya Na Kare?)

  1. जल और अन्न का सेवन न करें।
  2. झूठ बोलने और किसी का अपमान करने से बचें।
  3. अनैतिक कार्यों और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

निष्कर्ष (Conclusion)

निर्जला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने और जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा पाने का श्रेष्ठ उपाय है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। जो लोग सभी एकादशियों का पालन नहीं कर पाते, वे इस एक व्रत से पूरा पुण्य अर्जित कर सकते हैं।

जय श्री हरि!

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