पुत्रदा एकादशी 2025 | Putrada Ekadashi 2025

पुत्रदा एकादशी 2025 | Putrada Ekadashi 2025

पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जो संतान सुख की कामना करते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है: पौष मास और श्रावण मास में। 2025 में आने वाली दोनों पुत्रदा एकादशियों की तिथियां, पूजा विधि और कथा का वर्णन इस ब्लॉग में दिया गया है।

2025 में पुत्रदा एकादशी की तिथियां (2025 Me Putra Ekadashi Ki Tithiyan)

  1. पौष पुत्रदा एकादशी
    • तिथि: 9 जनवरी 2025 (गुरुवार)
    • एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 जनवरी को दोपहर 12:52 बजे
    • एकादशी तिथि समाप्त: 10 जनवरी को रात 10:49 बजे
    • व्रत पारण समय: 10 जनवरी को सुबह 7:30 बजे से 9:34 बजे तक

  1. श्रावण पुत्रदा एकादशी
    • तिथि: 5 अगस्त 2025 (मंगलवार)
    • एकादशी तिथि प्रारंभ: 4 अगस्त को सुबह 11:42 बजे
    • एकादशी तिथि समाप्त: 5 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे
    • व्रत पारण समय: 6 अगस्त को सुबह 5:45 बजे से 8:15 बजे तक

पुत्रदा एकादशी का महत्व (Putrada Ekadashi Ka Mahtava)

  • यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति और उनकी दीर्घायु के लिए किया जाता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से संतान संबंधी सभी कष्ट दूर होते हैं।
  • धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से पुण्य प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
  • पद्म पुराण में इस व्रत का उल्लेख है, जिसमें इसे मोक्ष और संतान सुख प्राप्ति का मार्ग बताया गया है।

व्रत विधि (Vrat Vidhi)

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  2. पूजा विधि:
    • भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
    • पुष्प, धूप, नैवेद्य, और तुलसी पत्र अर्पित करें।
    • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  3. व्रत कथा का श्रवण: पुत्रदा एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत का पूर्ण फल प्रदान करती है।
  4. रात्रि जागरण: इस दिन भगवान विष्णु के भजनों और कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करें।
  5. पारण: द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। इस दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।

पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, महिष्मति नगरी में राजा सुकेतुमान और रानी शैव्या रहते थे। उनके कोई संतान नहीं थी, जिससे वे दुखी रहते थे। एक दिन राजा वन में गए, जहां उन्होंने ऋषियों से पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व के बारे में जाना। राजा और रानी ने विधिपूर्वक यह व्रत किया। उनके व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया।

इस कथा से यह सिद्ध होता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत जीवन में संतान सुख और पारिवारिक आनंद प्रदान करने वाला है।

पुत्रदा एकादशी का प्रभाव (Putrada Ekadashi Ka Prabhav)

  • इस व्रत को करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि व्यक्ति के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
  • भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी है। यह व्रत सच्चे मन और श्रद्धा से किया जाए तो भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 2025 में आने वाली पुत्रदा एकादशी पर इस व्रत को विधिपूर्वक करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।

ओम नमो भगवते वासुदेवाय। 🙏

Read More : Related Article