मासिक शिवरात्रि जनवरी 2025 : स्कंद पुराण में चार मुख्य शिवरात्रियों का उल्लेख है। नित्य शिवरात्रि पहली शिवरात्रि है जो प्रतिदिन, अर्थात हर रात मनाई जाती है। अगली शिवरात्रि को मास शिवरात्रि कहा जाता है और यह हर महीने कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का क्षीण या कम होता हुआ चरण) की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
माघ शिवरात्रि तीसरी शिवरात्रि है और हिंदू माह माघ में तेरह दिनों की अवधि के लिए मनाई जाती है। यह प्रथमा (पहली) तिथि से शुरू होती है और चतुर्दशी (चौदहवीं) रात को समाप्त होती है जब पूरी रात भगवान शिव की पूजा की जाती है। चौथी शिवरात्रि मुख्य है और इसे महा शिवरात्रि कहा जाता है । यह माघ महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा का क्षीण चरण) की चतुर्दशी (14वें दिन) को मनाई जाती है। महा शिवरात्रि देश के प्रमुख हिस्सों में मनाई जाती है और इसे भव्य तरीके से मनाया जाता है।
शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की पूजा और उपासना का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो विशेष रूप से भक्तों के जीवन में पुण्य और समृद्धि लाता है। मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है और जनवरी 2025 की मासिक शिवरात्रि 27 जनवरी को होगी। इस दिन भक्त विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मासिक शिवरात्रि 2025: पूजा समय (Monthly Shivratri 2025: Pooja Samay)
- निशिता काल पूजा समय: 28 जनवरी, 12:13 AM – 01:05 AM
- रात्रि का पहला प्रहर पूजा समय: 27 जनवरी, 06:06 PM – 09:23 PM
- रात्रि का दूसरा प्रहर पूजा समय: 27 जनवरी, 09:23 PM – 28 जनवरी, 12:39 AM
- रात्रि का तीसरा प्रहर पूजा समय: 28 जनवरी, 12:39 AM – 03:55 AM
- रात्रि का चौथा प्रहर पूजा समय: 28 जनवरी, 03:55 AM – 07:12 AM
शिवरात्रि व्रत की विधियाँ (Shivratri Vrat Ki Vidhiyan)
- प्रारंभिक ध्यान और स्नान:
व्रति को सूर्योदय से पहले उठकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद वे स्नान करके नए और साफ कपड़े पहनते हैं। रुद्राक्ष की माला पहनना और ‘विभूति’ (पवित्र राख) लगाना अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
- शिवलिंग की पूजा:
शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, घी, गुलाबजल, और अन्य शुभ पदार्थों से स्नान कराना चाहिए। इस दौरान भक्त भगवान शिव से अपनी गल्तियों के लिए क्षमा मांगते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।
- पवित्र स्नान और अर्पण:
स्नान के बाद, शिवलिंग पर हल्दी, कुमकुम और गुलाबी और सफेद कमल की माला चढ़ाई जाती है। अगरबत्ती जलाना और मंदिर की घंटियाँ बजाना इस पूजा का हिस्सा है।
- व्रत और उपवास:
शिवरात्रि के दिन व्रति को उपवास रखना चाहिए। पूरे दिन और रात में उपवास करते हुए भक्त भगवान शिव के भजन, मंत्र जाप और आरती करते हैं। इस दिन के दौरान, खासकर रात के प्रहरों में शिवलिंग को हर तीन घंटे में पवित्र स्नान कराया जाता है।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र जाप:
व्रत करने वाले भक्त पूरे दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहते हैं। यह मंत्र विशेष रूप से शिवरात्रि के दिन अधिक प्रभावी माना जाता है और व्रति को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- प्रसाद अर्पण और भजन-कीर्तन:
व्रति फलों और विशेष प्रसाद भगवान शिव को अर्पित करते हैं। इस दिन भजन और कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें भक्त भगवान शिव की कथाएँ और भक्ति गीत सुनते हैं।
शिवरात्रि के व्रत का महत्व (Shivratri Ke Vrat Ka Mahatav)
शिवरात्रि का व्रत विशेष रूप से आत्मिक उन्नति, मानसिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करने का एक उत्तम तरीका है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है और साधक को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
- पापों से मुक्ति: इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
- धन-धान्य की प्राप्ति: मासिक शिवरात्रि के व्रत से व्यक्ति को समृद्धि, वैभव और मानसिक शांति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस व्रत से व्यक्ति के अंदर आत्मबल और ध्यान की शक्ति विकसित होती है, जो उसकी आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव की भक्ति और साधना का अद्भुत अवसर है। इस दिन की पूजा से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। हर व्रति को इस दिन भगवान शिव की उपासना पूरी श्रद्धा और समर्पण से करनी चाहिए ताकि वे शिवजी की अनंत कृपा का अनुभव कर सकें।
ॐ नमः शिवाय!
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