भारत में हिंदू धर्म में प्रत्येक माह का विशेष महत्व है, लेकिन श्रावण मास को विशेष स्थान प्राप्त है। श्रावण मास (श्रावण माह) हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष के पांचवे माह के रूप में आता है, जो जुलाई और अगस्त के बीच में होता है। इस मास का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, क्योंकि इसे शिव भक्ति के लिए सर्वोत्तम माह माना जाता है। श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है और यह विशेष रूप से शिव भक्तों के लिए अत्यधिक पुण्य देने वाला होता है। इस ब्लॉग में हम श्रावण मास के महत्व और पूजा विधि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Table of Contents
Toggleश्रावण मास का महत्व (Shravan Mas ka Mahatav)
श्रावण मास को भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस माह के दौरान शिव भक्त खास तौर पर भगवान शिव की पूजा और उपासना करते हैं। श्रावण मास में चंद्रमा की स्थिति के कारण इसका प्रभाव धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक सकारात्मक होता है।
इस माह में विशेष रूप से भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। शिव के अलावा, इस समय नंदी, गाय, बगुला, और अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। श्रावण मास के दौरान भगवान शिव के जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस मास में किए गए पूजा-अर्चना से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है और उनका जीवन खुशहाल होता है।
श्रावण मास की पूजा का उद्देश्य (Shravan Mas Ki Pooja Ka Uddeshya)
श्रावण मास की पूजा का प्रमुख उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, उनके आशीर्वाद से जीवन के कष्टों से मुक्ति पाना और मानसिक शांति प्राप्त करना होता है। यह माह विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी होता है, जो किसी विशेष समस्या का समाधान या सुख-शांति की कामना करते हैं। इस माह में शिव उपासना से जीवन की समस्याओं का निवारण होता है और व्यक्ति को आत्मिक उन्नति मिलती है।
श्रावण माह में विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा, और सोमवारी (सोमवार) के दिन पूजा का महत्व बहुत बढ़ जाता है। सोमवारी विशेष रूप से भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
श्रावण मास में पूजा विधि (Shravan Mas me Pooja Vidhi)
श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा विधि कुछ विशेष होती है। निम्नलिखित हैं श्रावण मास में शिव पूजा की सामान्य विधियां:
- पवित्र नदियों में स्नान: श्रावण माह के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। यह शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। अगर नदियों में स्नान करना संभव न हो तो घर में गंगाजल का उपयोग किया जा सकता है।
- भगवान शिव का अभिषेक: इस माह में शिवलिंग का जल, दूध, शहद, घी, और बिल्व पत्रों से अभिषेक किया जाता है। अभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन से कष्ट दूर होते हैं। शिवलिंग के ऊपर जल चढ़ाने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है।
- रुद्राभिषेक: रुद्राभिषेक विशेष रूप से इस माह में किया जाता है। यह एक प्रकार की विधि है जिसमें विशेष मंत्रों के साथ भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक से स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
- पढ़ें महामृत्युंजय मंत्र: महामृत्युंजय मंत्र का जाप इस माह में विशेष रूप से किया जाता है। यह मंत्र जीवन के भय और संकट से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। इस मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को संजीवनी शक्ति मिलती है और वह हर संकट से बचता है।
- शिवाष्टकश्याम, शिवमहिम्न स्तोत्र: इन विशेष शिव स्तोत्रों का श्रावण माह में पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति की आस्था और विश्वास बढ़ता है।
- व्रत और उपवास: श्रावण माह के सोमवार को उपवास रखने की परंपरा है। इस दिन विशेष रूप से व्रति लोग एक दिन का उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। उपवास से आत्मिक शांति मिलती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- भिक्षाटन और दान: इस माह में गरीबों और ब्राह्मणों को दान देने की भी परंपरा है। यह पुण्य का कार्य माना जाता है और इससे व्यक्ति का पुण्य बढ़ता है।
श्रावण मास में क्या खाएं और क्या न खाएं? (Shravan Mas me Kya Khaye Aur Kya Na Khaye)
श्रावण मास के दौरान व्रति कुछ खास आहार की पद्धतियों का पालन करते हैं। इस माह में विशेष रूप से साबूदाना, कूटू का आटा, मखाना, आलू, फल, और दूध का सेवन किया जाता है। वहीं, तली-भुनी चीजें, मांसाहारी भोजन, शराब और अन्य मांसाहारी खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाता है।
श्रावण मास के खास दिन (Shravan Mas Ke Khas Din)
- कावंड़ यात्रा: श्रावण मास के दौरान विशेष रूप से कावंड़ यात्रा का आयोजन होता है। भक्त गंगा जल भरकर अपने स्थान से शिव मंदिर तक यात्रा करते हैं। इस दौरान भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक किया जाता है।
- श्रावण पूर्णिमा: श्रावण माह की पूर्णिमा विशेष रूप से रक्षाबंधन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भाई अपनी बहन को राखी बांधते हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं।
- शिवरात्रि: श्रावण मास के दौरान आने वाली शिवरात्रि भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह दिन विशेष रूप से उपवास, रात्रि जागरण, और शिव भक्ति के लिए समर्पित होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
श्रावण मास का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह भगवान शिव की पूजा का सर्वोत्तम समय है और इस मास में पूजा, उपासना, व्रत, और दान से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। श्रद्धा और भक्ति से किया गया श्रावण मास का व्रत और पूजा निश्चित रूप से भक्तों को भगवान शिव की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है।
यदि आप भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंगो जैसे महाकालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर आदि एवं शक्तिपीठों या श्री राम जन्मभूमि और मां वैष्णो देवी आदि के दर्शन करना चाहते हैं तो आप अपने नजदीकी दुर्लभ दर्शन केंद्र पर जाकर दर्शन कर सकते हैं | केंद्र की जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी क्लिक करें।
और यदि आप किसी कारणवश मंदिर नही भी जा पाते है,या वहां जाकर भी दर्शन नही कर पाते है तो आप घर बैठे दुर्लभ दर्शन किट द्वारा 3d vr टेक्नोलॉजी की मदद से दर्शन कर सकते हैं | दुर्लभ दर्शन एप्लीकेशन में आप ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ शक्तिपीठों, प्रमुख हनुमान मंदिरों तथा प्रमुख नदियों की आरती के भी साक्षी बन सकते हैं | साथ ही आप प्रतिदिन होने वाले श्री महाकालेश्वर भगवान के श्रृंगार के लाइव दर्शन भी कर सकते हैं |
आज ही दुर्लभ दर्शन किट ऑर्डर करें दुर्लभ दर्शन किट।
Read More : Related Articles