श्रावण मास 2025 | Shravan Maas 2025

श्रावण मास

श्रावण मास (Sawan 2025) हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत पुण्यकारी और धार्मिक दृष्टि से श्रेष्ठ महीना है। यह मास पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें शिव जी की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ।

श्रावण मास 2025 की तिथियाँ | Shravan Maas 2025 Dates

भारत में श्रावण मास की शुरुआत पंचांग की प्रणाली पर निर्भर करती है। उत्तर भारत (पूर्णिमांत पंचांग) और दक्षिण भारत (अमांत पंचांग) में इसकी तिथियां अलग हो सकती हैं।

🔷 उत्तर भारत (पूर्णिमांत पंचांग) के अनुसार:
श्रावण मास प्रारंभ: 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
श्रावण मास समाप्ति: 10 अगस्त 2025 (रविवार)

🔷 दक्षिण भारत (अमांत पंचांग) के अनुसार:
श्रावण मास प्रारंभ: 26 जुलाई 2025 (शनिवार)
श्रावण मास समाप्ति: 24 अगस्त 2025 (रविवार)

श्रावण मास की पौराणिक कथा | Shravan Maas Ki Pauranik Katha

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया, तब सबसे पहले विष (हलाहल) उत्पन्न हुआ। इस विष की तीव्रता इतनी अधिक थी कि सृष्टि के नाश का संकट उत्पन्न हो गया।

तब भगवान शिव ने करुणा कर वह विष स्वयं पी लिया और उसे अपने कंठ में स्थिर कर लिया। तभी से भगवान शिव को नीलकंठ कहा गया। इस विष की उष्णता से शिव जी के शरीर में ताप उत्पन्न हुआ, जिसे शांत करने के लिए देवताओं और भक्तों ने उन्हें जल अर्पित किया। यही परंपरा आज भी श्रावण मास में निभाई जाती है – जब भक्त शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, और पुष्प अर्पित करते हैं।

श्रावण सोमवार व्रत का महत्व | Shravan Somwar Vrat Ka Mahatav

श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को श्रावण सोमव्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने हेतु किया जाता है। अविवाहित कन्याएं इस व्रत को उत्तम वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं, जबकि विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु और सुख-सौभाग्य के लिए व्रत करती हैं।

श्रावण सोमवार व्रत की विधि और नियम | Shravan Somwar Vrat Ki Vidhi aur Niyam

श्रावण सोमवार व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए निम्न नियमों का पालन करें:

🔹 प्रातःकाल स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
🔹 घर अथवा मंदिर में शिवलिंग की स्थापना करें।
🔹 पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें।
🔹 शिव जी को बेलपत्र, आक, धतूरा, कमल व सफेद फूल, और भांग अर्पित करें।
🔹 “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार रुद्राक्ष माला से करें।
🔹 संध्या समय शिव चालीसा, रुद्राष्टक या शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करें।
🔹 व्रती दिन भर फलाहार करें, अन्न न लें, और केवल सात्विक आहार ही ग्रहण करें।

श्रावण सोमवार व्रत कथा | Sawan Somvar Vrat Katha

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक निर्धन ब्राह्मण दंपति बहुत वर्षों से संतान की प्राप्ति हेतु भगवान शिव की आराधना कर रहे थे। श्रावण मास में उन्होंने सोमवार व्रत रखना प्रारंभ किया। पूर्ण श्रद्धा से उन्होंने लगातार 16 सोमवार तक शिव व्रत किया। अंत में शिव जी प्रकट हुए और उन्हें एक सुंदर, बुद्धिमान पुत्र का वरदान दिया।

इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि श्रद्धा, संयम और भक्ति से शिवजी अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं।

श्रावण मास में क्या करें और क्या न करें | Do’s & Dont’s

क्या करें:

  • प्रतिदिन “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
  • शिव मंदिर जाकर अभिषेक करें।
  • केवल सात्विक आहार लें।
  • संयमित जीवन जिएं – क्रोध, लोभ, ईर्ष्या त्यागें।
  • जरूरतमंदों को दान दें, गौसेवा करें।

क्या न करें:

  • मांस, मदिरा और प्याज-लहसुन का सेवन वर्जित है।
  • बाल और नाखून काटने से बचें।
  • किसी से कटु वचन या झूठ न बोलें।
  • इस मास में मांगलिक कार्य (विवाह, गृह प्रवेश आदि) नहीं किए जाते।

श्रावण मास में होने वाले प्रमुख पर्व | Shravan Maas Mein Hone Wale Pramukh Parv

  • श्रावण सोमवार व्रत: 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त 2025
  • मंगला गौरी व्रत (मंगलवार को): 15 जुलाई, 22 जुलाई, 29 जुलाई, 5 अगस्त
  • नाग पंचमी: 29 जुलाई 2025
  • रक्षा बंधन: 10 अगस्त 2025 (श्रावण पूर्णिमा)
  • श्रावणी उपाकर्म/यज्ञोपवीत संस्कार: दक्षिण भारत – 11 अगस्त | उत्तर भारत – 10 अगस्त
  • शिवरात्रि (मासिक): 7 अगस्त 2025

श्रावण मास व्रत के लाभ | Shravan Maas Vrat Ke Labh

🔸 मानसिक शांति एवं ध्यान की शक्ति में वृद्धि
🔸 घर में सुख-शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति
🔸 कन्याओं को योग्य वर, विवाहितों को दाम्पत्य सुख
🔸 संतान सुख एवं मोक्ष की प्राप्ति
🔸 भगवान शिव की विशेष कृपा और जीवन के कष्टों का अंत

श्रावण मास का धार्मिक महत्व | Religious Significance

  1. शिव जी का प्रिय मास: मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला था, तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण किया और विष की तपन को शांत करने हेतु देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। तभी से इस मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाना अत्यंत पुण्यकारी माना गया।
  2. रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय जाप: इस मास में रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है। इससे अकाल मृत्यु का निवारण होता है।
  3. सावन सोमवार: इस मास के प्रत्येक सोमवार को ‘श्रावण सोमव्रत’ रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

श्रावण मास केवल व्रत का समय नहीं है, यह आत्मिक शुद्धि का उत्सव है। इस मास में जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा से भगवान शिव की आराधना करता है, वह सांसारिक क्लेशों से मुक्त होकर आध्यात्मिक शांति की ओर बढ़ता है। श्रावण सोमवार व्रत, जलाभिषेक, मंत्र जाप और सेवा-भावना जीवन में पुण्य संचित करने का अवसर प्रदान करते हैं।

“ॐ नमः शिवाय” के गूंजते मंत्रों के बीच इस श्रावण मास 2025 में हम सब भगवान शिव के चरणों में अर्पित हो जाएं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।

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