षट्तिला एकादशी 2025 | Shat-Tila Ekadashi 2025

षट्तिला एकादशी 2025 | Shat-Tila Ekadashi 2025

षट्तिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसका नाम “षट्तिला” इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन तिल के छह प्रकार के उपयोग का विशेष महत्व है। यह एकादशी दान, व्रत और भक्ति के लिए जानी जाती है।

षट्तिला एकादशी 2025 की तिथि (Shat-Tila Ekadashi 2025 Ki Tithi)

  • तिथि: 28 जनवरी 2025 (मंगलवार)
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 27 जनवरी को रात 9:47 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 28 जनवरी को रात 11:07 बजे
  • व्रत पारण समय: 29 जनवरी को सुबह 7:15 बजे से 9:30 बजे तक

षट्तिला एकादशी का महत्व (Shat-Tila Ekadashi Ka Mahatav)

  1. पुण्य प्राप्ति: यह व्रत पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
  2. दान का महत्व: तिल का दान, सेवन और उपयोग शरीर और आत्मा की शुद्धि करता है।
  3. गरीबों की सहायता: इस दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्य सामग्री दान करने से विशेष पुण्य फल मिलता है।

व्रत विधि (Vrat Vidhi)

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं और तिल का उपयोग पूजा में करें।
  3. षट्तिला एकादशी की कथा का पाठ करें।
  4. इस दिन तिल का उपयोग छह प्रकार से करें: तिल स्नान, तिल का तर्पण, तिल का दान, तिल का हवन, तिल का भोजन, और तिल का उबटन।
  5. रात्रि में जागरण करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

षट्तिला एकादशी की कथा (Shat-Tila Ekadashi Ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक महिला बहुत धर्मपरायण थी लेकिन उसने कभी अन्न दान नहीं किया। भगवान विष्णु ने उसे दान का महत्व समझाया। उन्होंने उसे तिल का दान करने का निर्देश दिया। तिल दान के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

निष्कर्ष (Conclusion)

षट्तिला एकादशी पर तिल का विशेष उपयोग और दान करके व्यक्ति अपने पापों का नाश कर सकता है। यह व्रत न केवल धर्म के प्रति श्रद्धा को प्रकट करता है, बल्कि दान की महत्ता को भी समझाता है।

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