हनुमान जी को संकटमोचन, महावीर, और पवनपुत्र के नाम से जाना जाता है। वे अपार शक्ति, भक्ति, और ज्ञान के स्वामी हैं। श्रीराम के अनन्य भक्त होने के कारण उन्हें अनेक दिव्य शक्तियाँ प्राप्त हुईं। उनमें प्रमुख हैं अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ, जिनका उल्लेख हनुमान चालीसा में भी मिलता है:
“अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता।।”
इस पंक्ति का अर्थ है कि माता सीता ने हनुमान जी को अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का आशीर्वाद दिया था। इन शक्तियों के कारण हनुमान जी किसी भी कार्य को सिद्ध करने में सक्षम हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ये सिद्धियाँ और निधियाँ क्या हैं, हनुमान जी को ये कैसे प्राप्त हुईं, और इनकी साधना करने से भक्तों को क्या लाभ मिलता है।
अष्ट सिद्धियाँ आठ दिव्य शक्तियाँ हैं, जिनका वर्णन शास्त्रों में किया गया है। ये सिद्धियाँ व्यक्ति को अलौकिक शक्तियों से संपन्न बनाती हैं।
नव निधियाँ नौ प्रकार की दिव्य संपत्तियाँ हैं, जिनका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। ये निधियाँ धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं।
हनुमान जी को अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ माता सीता के आशीर्वाद से प्राप्त हुईं। जब वे लंका में श्रीराम का संदेश लेकर माता सीता के पास गए और लंका दहन करके वापस लौटे, तो माता सीता ने उनकी भक्ति और सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें यह वरदान दिया कि वे इन दिव्य शक्तियों से संपन्न रहेंगे।
इसके अलावा, हनुमान जी को ये शक्तियाँ उनके तप, साधना और भगवान शिव के आशीर्वाद से भी प्राप्त हुई थीं। कहा जाता है कि हनुमान जी भगवान शिव के अवतार हैं और शिवजी स्वयं सिद्धियों और निधियों के स्वामी हैं। अतः हनुमान जी को भी ये शक्तियाँ सहज ही प्राप्त हो गईं।
यदि कोई भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ हनुमान जी की उपासना करता है, तो उसे भी इन शक्तियों का लाभ मिलता है।
हनुमान जी की अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ उनके अलौकिक स्वरूप को दर्शाती हैं। जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी आराधना करता है, उसे इन सिद्धियों और निधियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हनुमान जी न केवल बल, बुद्धि और विद्या के स्वामी हैं, बल्कि वे भक्तों की हर कठिनाई को दूर करने वाले देवता भी हैं। उनकी भक्ति करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता आती है।
जय श्री राम! जय बजरंगबली!
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