शिव भक्ति के 5 प्रसिद्ध भजन (Shiv Bhakti Ke 5 Prasidh Bhajan)

शिव भक्ति के 5 प्रसिद्ध भजन (Shiv Bhakti Ke 5 Prasidh Bhajan)

शिव भक्ति भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है। भगवान शिव, जिन्हें “महादेव”, “भोलेनाथ”, और “नटराज” के रूप में भी जाना जाता है, के प्रति भक्ति को व्यक्त करने के लिए भजन गाए जाते हैं। ये भजन न केवल भक्तों के मन को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि उनकी आत्मा को भी भगवान शिव से जोड़ते हैं।

नीचे शिव भक्ति के 5 प्रसिद्ध भजनों की सूची दी गई है, जिनका गान भक्तों के जीवन में दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

शिव भक्ति

1. ओम नमः शिवाय (Om Namah Shivay)

यह मंत्र और भजन भगवान शिव की शक्ति और कृपा का प्रतीक है। इसे सुनने और गाने से मन को शांति मिलती है और आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है।

मुख्य पंक्तियां:

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

रामेश्वराय, शिव, रामेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
रामेश्वराय, शिव, रामेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

गंगाधराय, शिव, गंगाधराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
गंगाधराय, शिव, गंगाधराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

जटाधराय, शिव, जटाधराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
जटाधराय, शिव, जटाधराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

सोमेश्वराय, शिव, सोमेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
सोमेश्वराय, शिव, सोमेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

विश्वेश्वराय, शिव, विश्वेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
विश्वेश्वराय, शिव, विश्वेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

कोटेश्वराय, शिव, कोटेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
कोटेश्वराय, शिव, कोटेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

महाकलेश्वराय, महाकलेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
महाकलेश्वराय, महाकलेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

त्र्यम्बकेश्वराय, शिव, त्र्यम्बकेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
त्र्यम्बकेश्वराय, शिव, त्र्यम्बकेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

भद्रेश्वराय, शिव, भद्रेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
भद्रेश्वराय, शिव, भद्रेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

योगेश्वराय, शिव, योगेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
योगेश्वराय, शिव, योगेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

ममलेश्वराय, शिव, ममलेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
ममलेश्वराय, शिव, ममलेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

भीमेश्वराय, शिव, भीमेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
भीमेश्वराय, शिव, भीमेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

गंगेश्वराय, शिव, गंगेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
गंगेश्वराय, शिव, गंगेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

कामेश्वराय, शिव, कामेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
कामेश्वराय, शिव, कामेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

रुद्रेश्वराय, शिव, रुद्रेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
रुद्रेश्वराय, शिव, रुद्रेश्वराय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
हर-हर भोले नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
हर-हर भोले नमः शिवाय….

2. शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav Strot)

रावण द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव के तांडव नृत्य का वर्णन करता है। इसकी हर पंक्ति शिव की शक्ति और महिमा को व्यक्त करती है।


मुख्य पंक्तियां:


जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावित स्थले,
गलेऽवलंब्य लंलितं भुजंग तुंग मालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं

चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी

विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।

धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके

किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर

स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।

कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि

क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा

कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।

मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर

प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।

भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक

श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।

सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं

महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल

द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।

धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्

कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।

निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः

कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा

वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।

स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।

स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं

गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस

द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।

धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥१२॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥१४॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥१५॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं

विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१६॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं

यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां

लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥१७॥

3. जय शिव ओंकारा (Jai Shiv Omkara)

यह आरती भगवान शिव की स्तुति करती है। इसे प्रायः शिवरात्रि और अन्य पूजाओं के दौरान गाया जाता है।


मुख्य पंक्तियां:


ॐ जय शिव ओंकारा,

स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन

पंचानन राजे ।

हंसासन गरूड़ासन

वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज

दसभुज अति सोहे ।

त्रिगुण रूप निरखते

त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,

मुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै,

भाले शशिधारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर

बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक

भूतादिक संगे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल

चक्र त्रिशूलधारी ।

सुखकारी दुखहारी

जगपालन कारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव

जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर में शोभित

ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति

जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी

सुख संपति पावे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

4. नागेंद्र हाराय

यह संस्कृत भजन भगवान शिव के शारीरिक स्वरूप का वर्णन करता है, जिसमें उनके गले का नाग, त्रिशूल, और तीसरा नेत्र शामिल है।

नागेंद्र हाराय त्रिलोचनाय,
भस्म अंग रागाय महेश्वराय

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय, तस्मै: न काराय नमः शिवाय |             

सलिलचन्दन चर्चिताय,

नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

5. रुद्राष्टकम (Rudrashtkam)

रुद्राष्टकम के प्रतिदिन पाठ करने से बड़े से बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है

 मुख्य पंक्तियां:

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासंन जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो

निष्कर्ष (Conclusion)

शिव भक्ति के ये भजन भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ भजन शिव की शक्ति का वर्णन करते हैं, तो कुछ उनके सरल और दयालु स्वरूप को। इन भजनों का गान भगवान शिव के प्रति भक्त के प्रेम और श्रद्धा को गहराई देता है। शिव भक्ति के इस संगीत के माध्यम से हर भक्त भगवान शिव की दिव्यता का अनुभव कर सकता है।

“हर हर महादेव!”

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