Basant Panchami : बसंत पंचमी, जिसे श्री पंचमी या सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख त्योहार है। यह दिन देवी सरस्वती, जो ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा की देवी हैं, की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है, जब प्रकृति खिल उठती है और चारों ओर हरियाली व खुशहाली छा जाती है।
माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और विवेक में वृद्धि होती है।

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Toggleबसंत पंचमी की पौराणिक कथा | Basant Panchami Ki Pauranik Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद जीवन में संगीत और मधुरता लाने के लिए देवी सरस्वती को प्रकट किया। उनके वीणा वादन से है।
बसंत पंचमी पर अनुष्ठान और परंपराएँ | Basant Panchami Par Anushthan aur Paramparayen
- देवी सरस्वती की पूजा: इस दिन पीले वस्त्र पहनकर देवी सरस्वती की प्रतिमा की पूजा की जाती है। पीले फूल, हल्दी, और तिल से उनका अभिषेक किया जाता है |
- विद्या की शुरुआत: छोटे बच्चों को इस दिन शिक्षा की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिसे “अक्षर आरंभ” या “विद्यारंभ” कहा जाता है।
- पीले रंग का महत्व: बसंत पंचमी पर पीला रंग पहनना और भोजन में पीले व्यंजन जैसे खिचड़ी, मीठे चावल और हलवा खाना शुभ माना जाता है।
2025 में बसंत पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त | 2025 Mein Basant Panchami Ki Tithi aur Shubh Muhurat
वर्ष 2025 में बसंत पंचमी 02 फरवरी को मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त: [07:10 AM – 12:40 PM]
यह दिन शिक्षा, कला, और नई शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी का सांस्कृतिक महत्व | Basant Panchami Ka Sanskritik Mahatav
- पंजाब और हरियाणा: बसंत पंचमी को पतंग उत्सव और खेतों में पीली सरसों के स्वागत के रूप में मनाया जाता है।
- बंगाल: बंगाल में इस दिन सरस्वती पूजा बड़े हर्षोल्लास के साथ होती है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार: यहां इसे विद्या की देवी को समर्पित कर विद्यारंभ के रूप में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी और प्रकृति का संगम | Basant Panchami Aur Prakriti Ka Sangam
बसंत पंचमी न केवल धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह प्रकृति के साथ सामंजस्य का भी प्रतीक है। इस दिन पेड़-पौधे, सरसों के फूल और खेतों की हरियाली उत्सव का हिस्सा बनते हैं।
निष्कर्ष | Conclusion
बसंत पंचमी न केवल देवी सरस्वती की आराधना का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, ज्ञान और परंपरा का अनूठा संगम भी है। यह दिन जीवन में सकारात्मकता, ज्ञान और उल्लास का संदेश देता है।
“संगीत, ज्ञान और उल्लास से भरें अपना जीवन!”
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