विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसका नाम “विजया” इसलिए पड़ा क्योंकि यह व्रत सफलता, विजय और शत्रुओं पर जीत प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से जीवन में समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
विजया एकादशी 2025 की तिथि (Vijaya Ekadashi 2025 ki Tithi)
- तिथि: 26 फरवरी 2025 (बुधवार)
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 फरवरी को रात 9:23 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 26 फरवरी को रात 11:45 बजे
- व्रत पारण समय: 27 फरवरी को सुबह 7:00 बजे से 9:15 बजे तक
विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi ka Mahatav)
- सफलता प्राप्ति: इस व्रत को करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है और शत्रुओं पर विजय मिलती है।
- पापों का नाश: यह व्रत व्यक्ति के जीवन के सभी पापों को समाप्त कर देता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान विष्णु की कृपा से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पौराणिक महत्व: श्रीराम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए इस व्रत का पालन किया था।
विजया एकादशी व्रत विधि (Vijaya Ekadashi Vrat Vidhi)
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल गंगाजल से स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- भगवान विष्णु की पूजा:
- भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- चंदन, तुलसी पत्र, पुष्प, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- व्रत कथा का श्रवण: विजया एकादशी की पौराणिक कथा सुनना या पढ़ना व्रत को पूर्ण फलदायी बनाता है।
- रात्रि जागरण: रात्रि में भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें।
- पारण: द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें। पारण के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अत्यंत शुभ माना गया है।
विजया एकादशी की पौराणिक कथा (Vijaya Ekadashi ki Pauranik Katha)
त्रेतायुग में जब भगवान राम रावण का वध करने के लिए लंका जाने की योजना बना रहे थे, तो उन्हें समुद्र पार करने की समस्या का सामना करना पड़ा। वे समुद्र के तट पर आए और समुद्र देवता से रास्ता देने की प्रार्थना की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
तब भगवान राम ने अपने बकदाल्भ्य नामक मुनि से मार्गदर्शन मांगा। बकदाल्भ्य मुनि ने उन्हें फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी को “विजया एकादशी” व्रत करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा से सभी बाधाएं समाप्त हो जाएंगी और विजय प्राप्त होगी।
भगवान राम ने इस व्रत को विधिपूर्वक किया। उन्होंने पूरे श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा की और रात्रि में जागरण किया। व्रत के प्रभाव से भगवान राम को लंका जाने का मार्ग मिला, और उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की।
विजया एकादशी का विशेष महत्व (Vijaya Ekadashi ka Mahatav)
- यह व्रत शत्रुओं से बचने, जीवन में सफल होने और आत्मिक शांति पाने के लिए किया जाता है।
- विजया एकादशी का व्रत उन लोगों के लिए भी फलदायी है जो अपने कार्यों में बार-बार विफल हो रहे हैं।
- श्रीराम का यह व्रत करना यह दर्शाता है कि यह न केवल धर्मिक अनुष्ठान है, बल्कि इसमें जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता पाने की शक्ति है।
निष्कर्ष (Conclusion)
विजया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने और जीवन में विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है। पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व के कारण यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली है। 2025 में विजया एकादशी पर व्रत का पालन करें और भगवान विष्णु की आराधना करके सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय।
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