पापमोचनी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह एकादशी पापों से मुक्ति दिलाने वाली है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने कर्मों के प्रायश्चित के लिए भगवान विष्णु की शरण में आते हैं। पापमोचनी एकादशी का व्रत व्यक्ति को आत्मशुद्धि, मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।
पुराणों में इस एकादशी का उल्लेख बड़े आदर और श्रद्धा के साथ किया गया है। यह कहा जाता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को अपने जीवन के बड़े से बड़े पापों से छुटकारा मिल सकता है। यह एकादशी केवल सांसारिक पापों से ही नहीं, बल्कि मानसिक दोषों जैसे क्रोध, ईर्ष्या, और लोभ से भी मुक्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
तिथि: 25 मार्च 2025 (मंगलवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 मार्च 2025 को रात 9:02 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 25 मार्च 2025 को रात 11:20 बजे
व्रत पारण समय: 26 मार्च 2025 को सुबह 6:05 बजे से 8:35 बजे तक
पापमोचनी एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा पद्म पुराण में वर्णित है।
चैत्ररथ वन में मेधावी नामक मुनि ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। वहाँ मझुघोषा नामक अप्सरा उन्हें मोहित करने आई। उसने एक कोस दूर वीणा बजाते हुए मधुर गीत गाया। मुनि मोहित होकर उसके पास गए और उसके साथ रमण करने लगे। इस स्थिति में उन्हें दिन-रात का भान नहीं रहा, और कई वर्षों तक अप्सरा के साथ रह गए।
जब मझुघोषा लौटने लगी, तब मुनि को पता चला कि 57 वर्ष बीत चुके हैं। अपनी तपस्या नष्ट होने पर क्रोधित मेधावी ने उसे पिशाची होने का शाप दे दिया। मझुघोषा ने विनती की तो मुनि ने कहा कि चैत्र कृष्णपक्ष की पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से उसका उद्धार होगा।
मेधावी ने भी अपने पापों के प्रायश्चित्त हेतु यही व्रत किया। पापमोचनी एकादशी सभी पापों को नष्ट करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली मानी गई है।
पापमोचनी एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो हमें अपने जीवन के बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। जो भक्त इसे श्रद्धा और विधिपूर्वक करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।
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