अजा एकादशी 2025 | Aja Ekadashi 2025

अजा एकादशी 2025 | Aja Ekadashi 2025

हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है, और उनमें से अजा एकादशी का स्थान अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है। इसे भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। इस एकादशी का व्रत व्यक्ति के समस्त पापों को नष्ट कर उसे मोक्ष प्रदान करता है। यह व्रत भगवान विष्णु की आराधना का प्रतीक है, जो भक्तों को पापों से मुक्त कर धर्म और पुण्य का मार्ग दिखाते हैं।

अजा एकादशी 2025 की तिथि और समय (Aja Ekadashi 2025 Ki Tithi Aur Samay)

  • तिथि आरंभ: 14 अगस्त 2025, गुरुवार को रात्रि 11:04 बजे।
  • तिथि समाप्त: 15 अगस्त 2025, शुक्रवार को रात 11:37 बजे।
  • पारण का समय: 16 अगस्त 2025 को प्रातः 05:35 बजे से 08:10 बजे तक।

अजा एकादशी का महत्व (Aja Ekadashi Ka Mahatav)

  1. पापों का नाश: इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है।
  2. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  3. धर्म और पुण्य का अर्जन: यह व्रत जीवन में धर्म और पुण्य को बढ़ाता है।
  4. सुख-समृद्धि का वास: इस व्रत से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: भगवान विष्णु की आराधना से आत्मा की शुद्धि होती है।

अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हरिश्चंद्र नामक एक राजा थे। वे सत्यवादी, धर्मपरायण और अत्यंत न्यायप्रिय थे। राजा ने एक बार अपने सत्यव्रत के कारण अपना संपूर्ण राज्य, धन और परिवार तक खो दिया। उन्हें एक चांडाल के यहां काम करना पड़ा और जीवन अत्यंत कष्टमय हो गया।

एक दिन, ऋषि गौतम ने राजा हरिश्चंद्र को अजा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। राजा ने पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से यह व्रत किया। व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप समाप्त हो गए और उन्हें अपना राज्य, परिवार और खोई हुई प्रतिष्ठा वापस मिल गई। इस व्रत के पुण्य से राजा ने स्वर्ग की प्राप्ति की।

अजा एकादशी व्रत विधि (Aja Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल गंगा स्नान या पवित्र जल से स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की पूजा: विष्णु भगवान की मूर्ति के समक्ष दीपक जलाएं, तुलसी और पुष्प अर्पित करें।
  3. एकादशी व्रत कथा: व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
  4. मंत्र जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  5. उपवास का पालन: पूरे दिन उपवास रखें और फलाहार करें।
  6. दान-पुण्य: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र या धन का दान करें।
  7. पारण: द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

अजा एकादशी के लाभ (Aja Ekadashi Ke Labh)

  1. पापों से मुक्ति: इस व्रत से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है।
  2. धन-धान्य की प्राप्ति: व्रत करने वाले के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
  3. आध्यात्मिक शुद्धि: भगवान विष्णु की आराधना से आत्मा की शुद्धि होती है।
  4. मोक्ष प्राप्ति: यह व्रत भक्त को विष्णु लोक की प्राप्ति कराता है।
  5. परिवार में कल्याण: व्रत से परिवार में शांति और खुशहाली आती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अजा एकादशी का व्रत यह सिखाता है कि जीवन में सत्य, धर्म, और भक्ति का पालन करने से हर कठिनाई का समाधान प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की आराधना से व्यक्ति न केवल अपने पापों का प्रायश्चित कर सकता है, बल्कि जीवन में धर्म और पुण्य के मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

जय श्री हरि!

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