Rudrabhishek: Full Information | रुद्राभिषेक : संपूर्ण जानकारी

Rudrabhishek: Full Information | रुद्राभिषेक : संपूर्ण जानकारी

रुद्राभिषेक भगवान शिव की विशेष पूजा विधि है, जिसे वैदिक रीति से किया जाता है। इसमें रुद्र के मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन के सभी कष्टों को दूर करने का सबसे प्रभावशाली साधन माना जाता है।

रुद्राभिषेक क्या है? (Rudrabhishek Kya Hai?)

“रुद्र” भगवान शिव का एक स्वरूप है, जो उनके उग्र और कृपालु दोनों भावों का प्रतिनिधित्व करता है। “अभिषेक” का अर्थ है पूजा या अर्पण। इस प्रकार रुद्राभिषेक का तात्पर्य है भगवान शिव की उनके रुद्र स्वरूप में पूजा। यह पूजा जल, दूध, घी, शहद, बेलपत्र, गंगाजल और अन्य पवित्र सामग्रियों से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए की जाती है।

शास्त्रों में वर्णन:
रुद्राभिषेक का उल्लेख वेदों और पुराणों में किया गया है। खासतौर पर “यजुर्वेद” में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करते हुए अभिषेक की विधि दी गई है। यह पूजा भगवान शिव की कृपा पाने, नकारात्मकता से मुक्ति और मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए की जाती है।

Rudrabhishek

रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है? (Rudrabhishek Kyun Kiya Jata Hai?)

रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे करने के पीछे कई कारण और लाभ हैं:

  1. कष्टों का निवारण: रुद्राभिषेक जीवन के सभी संकटों और कष्टों को दूर करता है।
  2. स्वास्थ्य और समृद्धि: इस पूजा से स्वास्थ्य और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति: यह पूजा घर और मन से नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है।
  4. मनोवांछित फल: यह पूजा इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-शांति लाने में सहायक है।

रुद्राभिषेक की पूर्ण विधि (Rudrabhishek Ki Purn Vidhi)

आवश्यक सामग्री:

  • गंगाजल या पवित्र जल
  • गाय का दूध
  • शुद्ध घी
  • शहद
  • दही
  • चीनी
  • बेलपत्र
  • भस्म
  • चंदन
  • फल और फूल
  • दीपक और अगरबत्ती
  • रुद्राक्ष माला
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण)

पूजा की तैयारी:

  1. प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थान को साफ करके वहां शिवलिंग स्थापित करें।
  3. सभी सामग्री को पूजा स्थल पर व्यवस्थित करें।

रुद्राभिषेक कैसे करें? (Rudrabhishek Kaise Karen?)

1) जल से अभिषेक

हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें– ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

2) दूध से अभिषेक

शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

3) फलों का रस

अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

4) सरसों के तेल से अभिषेक

ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

5) चने की दाल

किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

6) काले तिल से अभिषेक

तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

7) शहद मिश्रित गंगा जल

संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

8) घी व शहद

– रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

9 ) कुमकुम केसर हल्दी

आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें |

रुद्राभिषेक कहां करें? (Rudrabhishek Kahan Kare?)

  1. घर पर रुद्राभिषेक: इसे घर पर भी सरलता से किया जा सकता है, लेकिन सभी विधियों का पालन करना आवश्यक है।
  2. मंदिर में रुद्राभिषेक: यदि संभव हो तो इसे किसी मंदिर में पुजारी की सहायता से करें।
  3. विशेष अवसर पर रुद्राभिषेक: महाशिवरात्रि, सावन माह, या प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है।

रुद्राभिषेक के लाभ (Rudrabhishek Ke Labh)

  1. पारिवारिक सुख: परिवार में सुख-शांति और प्रेम का वातावरण बनता है।
  2. स्वास्थ्य लाभ: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
  4. वित्तीय लाभ: आर्थिक संकटों का समाधान होता है।
  5. कर्म दोष का निवारण: रुद्राभिषेक से पूर्व जन्मों के पाप और कर्म दोषों का नाश होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

रुद्राभिषेक एक दिव्य और प्रभावशाली पूजा है, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख का आगमन होता है। यह न केवल भौतिक जीवन की समस्याओं को दूर करता है, बल्कि आत्मा की उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

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