हिंदू धर्म में हर एकादशी का अपना अलग महत्व है, लेकिन इंदिरा एकादशी का स्थान अत्यंत विशिष्ट है। इसे आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पितृ पक्ष में आता है, जो पूर्वजों की आत्मा की शांति और उद्धार के लिए समर्पित है।
इंदिरा एकादशी का व्रत न केवल व्रती के पापों का नाश करता है, बल्कि उनके पितरों को मोक्ष प्रदान कर उन्हें विष्णु लोक तक पहुंचाता है।
इंदिरा एकादशी 2025 की तिथि और समय (Indira Ekadashi 2025 Ki Tithi Aur Samay)
- तिथि आरंभ: 26 सितंबर 2025, शुक्रवार को सुबह 03:45 बजे।
- तिथि समाप्त: 27 सितंबर 2025, शनिवार को सुबह 01:14 बजे।
- पारण का समय: 28 सितंबर 2025 को सुबह 06:10 बजे से 08:35 बजे तक।
इंदिरा एकादशी का महत्व (Indira Ekadashi Ka Mahatav)
- पितरों का उद्धार: यह व्रत पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करता है।
- पापों का नाश: व्रती के जीवन में किए गए सभी पाप इस व्रत के प्रभाव से समाप्त हो जाते हैं।
- धर्म और पुण्य का अर्जन: यह व्रत भक्त को धर्म और पुण्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
- आध्यात्मिक शुद्धि: भगवान विष्णु की आराधना से आत्मा की शुद्धि और उन्नति होती है।
- परिवार में सुख-शांति: व्रत से परिवार के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति का वास होता है।
इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Katha)
प्राचीन समय की बात है, महिष्मति नगरी में इंद्रसेन नामक राजा राज्य करते थे। वे धर्मात्मा और विष्णु भक्त थे। एक दिन राजा के पास नारद मुनि आए और उन्हें बताया कि उनके स्वर्गवासी पिता वर्तमान में यमलोक में कष्ट भोग रहे हैं।
राजा इंद्रसेन ने अपने पिता को मुक्त करने का उपाय पूछा। नारद मुनि ने उन्हें इंदिरा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी और कहा कि यह व्रत उनके पिता को मोक्ष दिलाने में सहायक होगा।
राजा ने पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ इंदिरा एकादशी व्रत किया। व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को यमलोक से मुक्ति मिली और वे विष्णु लोक में स्थान पाने में सफल हुए।
इंदिरा एकादशी व्रत विधि (Indira Ekadashi Vrat Vidhi)
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल पवित्र जल से स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं, तुलसी और पुष्प अर्पित करें।
- पितृ तर्पण: अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करें।
- व्रत कथा का श्रवण: इंदिरा एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
- मंत्र जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
- उपवास का पालन: व्रत के दौरान अन्न का त्याग करें और फलाहार करें।
- दान का महत्व: ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करें।
- पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
इंदिरा एकादशी के लाभ (Indira Ekadashi Ke Labh)
- पितरों की मुक्ति: इस व्रत के पुण्य से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।
- पापों का शमन: व्रती के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
- आध्यात्मिक शुद्धि: भगवान विष्णु की आराधना से आत्मा शुद्ध होती है।
- सुख-समृद्धि का वास: व्रत से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: व्रत करने वाले को मोक्ष प्राप्त होता है।
इंदिरा एकादशी का संदेश (Indira Ekadashi Ka Sandesh)
इंदिरा एकादशी हमें यह सिखाती है कि श्रद्धा और भक्ति से न केवल अपने पापों को समाप्त किया जा सकता है, बल्कि पितरों को भी मोक्ष प्रदान किया जा सकता है। यह व्रत व्यक्ति को धर्म और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
जय श्री हरि!
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