चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन साधना, संयम और आत्मशक्ति को बढ़ाने का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत सरल, सौम्य और तेजस्वी है। उनके पूजन से भक्तों को कठिन साधनाओं में सफलता और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ है “तप और संयम का पालन करने वाली।” उनका स्वरूप तपस्विनी का है। उनके दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी का आभामंडल शीतलता और ऊर्जा से भरा हुआ है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। हजारों वर्षों तक केवल फल-फूल और बाद में निर्जल रहकर तपस्या कर उन्होंने तप का चरम स्तर प्राप्त किया।
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से आत्मबल, संयम और कठिन परिस्थितियों में धैर्य प्राप्त होता है। उनका आशीर्वाद जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों को स्वीकारने और उन्हें पार करने की शक्ति प्रदान करता है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा का संबंध उनके कठोर तप से है। देवी सती के रूप में अपने पूर्वजन्म में जब उन्होंने आत्मदाह किया, तब उन्होंने हिमालय के घर पार्वती रूप में जन्म लिया। नारद मुनि के कहने पर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। उनकी तपस्या के प्रभाव से भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।
शंकर के मन भायी, साधना का वर पाया।
भक्तों का कल्याण किया, सुख-शांति को बरसाया॥
जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।
जपमाला कमंडल शोभित, तप का दिया सन्देश।
हर मुश्किल को पार किया, दिया धैर्य का आदेश॥
जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।
घी का दीप जलाते, मिश्री का भोग लगाते।
सच्चे मन से पूजन करते, भक्त फल जल्दी पाते॥
जय ब्रह्मचारिणी माता, जय ब्रह्मचारिणी माता।
मां ब्रह्मचारिणी का पूजन आत्मशक्ति, धैर्य और तप की महत्ता को उजागर करता है। उनकी उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और कठिनाइयों से लड़ने का आत्मबल मिलता है।
इस नवरात्रि, मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से अपने जीवन को साधना और संयम से आलोकित करें।
यदि आप मुख्य शक्तिपीठों जैसे मां हरसिद्धि देवी उज्जैन, मां शारदा माता मैहर, मां वैष्णो देवी आदि के साथ ही श्री राम जन्मभूमि और श्री राम के वनवास गमन पथ, मुख्य ज्योतिर्लिंग जैसे महाकालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर के सजीव दर्शन करना चाहते है, तो आप अपने नजदीकी दुर्लभ दर्शन केंद्र पर जाकर दर्शन कर सकते हैं | केंद्र की जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी क्लिक करे ।
और यदि आप किसी कारणवश मंदिर नही भी जा पाते है,या वहां जाकर भी दर्शन नही कर पाते है तो आप घर बैठे दुर्लभ दर्शन किट द्वारा 3D VR टेक्नोलॉजी की मदद से दर्शन कर सकते हैं । दुर्लभ दर्शन एप्लीकेशन में आप ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ शक्तिपीठों, प्रमुख हनुमान मंदिरों तथा प्रमुख नदियों की आरती के भी साक्षी बन सकते हैं । साथ ही आप प्रतिदिन होने वाले श्री महाकालेश्वर भगवान के श्रृंगार के लाइव दर्शन भी कर सकते हैं । आज ही दुर्लभ दर्शन किट ऑर्डर करें दुर्लभ दर्शन ।
Read More : Related Article