चैत्र नवरात्रि 2025: सातवां दिन मां कालरात्रि | Chaitra Navratri 2025 : Seventh Day Maa Kalratri

चैत्र नवरात्रि 2025: सातवां दिन मां कालरात्रि | Chaitra Navratri 2025 : Seventh Day Maa Kalratri

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि का यह रूप अंधकार और नकारात्मकता का अंत करने वाला है। वे अपने भक्तों को भयमुक्त करती हैं और जीवन में शांति और विजय प्रदान करती हैं।

मां कालरात्रि का परिचय (Maa Kalratri Ka Parichay)

मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत शुभकारी हैं। उनके तीन नेत्र हैं, जो समय, स्थान और स्थिति को नियंत्रित करते हैं। उनकी चार भुजाएं हैं—दो हाथों में खड्ग और लौह अस्त्र हैं, जबकि दो हाथ वरद और अभय मुद्रा में हैं। उनका वाहन गधा है।

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व (Maa Kalratri Ki Pooja Ka Mahatav)

लरात्रि की उपासना से सभी प्रकार के भय, शत्रु, और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। वे भक्तों को हर प्रकार की नकारात्मकता से बचाकर उनका मार्ग प्रशस्त करती हैं। उनकी कृपा से साधक को आध्यात्मिक और सांसारिक विजय प्राप्त होती है।

मां कालरात्रि व्रत विधि (Maa Kalratri Vrat Vidhi)

  1. स्नान और शुद्धि: सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. कलश पूजा: कलश की पूजा के साथ मां कालरात्रि का आह्वान करें।
  3. पूजा सामग्री: गुड़, लाल पुष्प, रोली, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
  4. भोग: मां को गुड़ और उससे बने पकवान का भोग लगाएं।
  5. मंत्र जाप:
    “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
  6. आरती: मां कालरात्रि की आरती गाएं।
  7. व्रत पालन: दिनभर उपवास रखें और फलाहार करें।

मां कालरात्रि की पौराणिक कथा (Maa Kalratri Ki Pauranik Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, मां कालरात्रि ने रक्तबीज नामक राक्षस का संहार किया था। रक्तबीज को यह वरदान प्राप्त था कि उसके खून की प्रत्येक बूंद से नया राक्षस जन्म लेगा। मां ने अपना विकराल रूप धारण कर रक्तबीज का संहार किया और उसका रक्त पृथ्वी पर गिरने से रोका। यह कथा मां के असीम साहस और शक्ति को दर्शाती है।

मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त और तिथि (Maa Kalratri Ki Pooja Ka Shubh Muhurat or Tithi)

  • मां कालरात्रि पूजा: 4 अप्रैल 2025
  • पूजन का समय: प्रातः 7:45 से 9:15 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार)

मां कालरात्रि की आरती (Maa Kalratri Ki Aarti)

जय कालरात्रि माता, जय कालरात्रि माता।  

तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥  

जय कालरात्रि माता, जय कालरात्रि माता।  

तुम हो भक्तों की रक्षक, शत्रुओं की नाशक।  

अंधकार को दूर करती, पाप हरने वाली शुभकारी॥  

जय कालरात्रि माता, जय कालरात्रि माता।  

खड्ग और त्रिशूल धारण, भयानक रूप तुम्हारा।  

भक्तों का कष्ट हरने, जीवन में सुखदायक सारा॥  

जय कालरात्रि माता, जय कालरात्रि माता।  

धूप-दीप से पूजा करें, गुड़ का भोग चढ़ाएं।  

जो भी सच्चे मन से पुकारे, उनके सब संकट मिटाएं॥  

जय कालरात्रि माता, जय कालरात्रि माता।  

निष्कर्ष (Conclusion)

मां कालरात्रि की पूजा से साधक निडर और आत्मविश्वासी बनता है। उनकी कृपा से सभी प्रकार के संकट और नकारात्मकता का अंत होता है।

इस नवरात्रि, मां कालरात्रि की उपासना करके अपने जीवन को भयमुक्त, शांत और शुभकारी बनाएं।

यदि आप मुख्य शक्तिपीठों जैसे मां हरसिद्धि देवी उज्जैन, मां शारदा माता मैहर, मां वैष्णो देवी आदि के साथ ही  श्री राम जन्मभूमि और श्री राम के वनवास गमन पथ, मुख्य ज्योतिर्लिंग जैसे महाकालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर के सजीव दर्शन करना चाहते है, तो आप अपने नजदीकी दुर्लभ दर्शन केंद्र पर जाकर दर्शन कर सकते हैं । केंद्र की जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी क्लिक करें ।

और यदि आप किसी कारणवश मंदिर नही भी जा पाते है,या वहां जाकर भी दर्शन नही कर पाते है तो आप घर बैठे दुर्लभ दर्शन किट द्वारा 3D VR टेक्नोलॉजी की मदद से दर्शन कर सकते हैं । दुर्लभ दर्शन एप्लीकेशन में आप ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ शक्तिपीठों, प्रमुख हनुमान मंदिरों तथा प्रमुख नदियों की आरती के भी साक्षी बन सकते हैं । साथ ही आप प्रतिदिन होने वाले श्री महाकालेश्वर भगवान के श्रृंगार के लाइव दर्शन भी कर सकते हैं । आज ही दुर्लभ दर्शन किट ऑर्डर करें दुर्लभ दर्शन किट । 

Read More : Related Article