मंगलवार व्रत भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इसे रखने से भक्तों को हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य और संकटमोचन के लिए किया जाता है।
पुराने समय की बात है, एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी संतान प्राप्ति की इच्छा रखते थे, लेकिन उन्हें संतान सुख नहीं था। उन्होंने कई प्रयास किए, परंतु सफलता नहीं मिली। अंततः उन्होंने भगवान हनुमान जी की शरण में जाने का निश्चय किया।
ब्राह्मण वन में जाकर हनुमान जी की पूजा करने लगा, जबकि उसकी पत्नी ने घर पर मंगलवार का व्रत करना शुरू किया। वह पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ व्रत करती और भोग लगाने से पहले भोजन नहीं करती। एक बार, भोजन के अभाव में उसने अगले मंगलवार तक व्रत का पालन किया। उसकी इस निष्ठा को देखकर भगवान हनुमान अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। कुछ समय बाद, दंपत्ति को एक सुंदर बालक की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने “मंगल” रखा।
कुछ समय बाद ब्राह्मण के मन में संदेह उत्पन्न हुआ कि यह बालक कहीं सामान्य मानव का पुत्र तो नहीं है। इस भ्रम में आकर उसने बालक को कुएं में फेंक दिया। लेकिन भगवान हनुमान अपने भक्तों की निष्ठा का आदर करते हैं। उन्होंने सपने में ब्राह्मण को दर्शन दिए और बताया कि यह बालक उन्हीं का आशीर्वाद है। ब्राह्मण को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान हनुमान जी से क्षमा मांगी। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति ने और भी अधिक श्रद्धा से मंगलवार का व्रत करना शुरू कर दिया।
मंगलवार व्रत रखने से भक्तों को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत हमें निष्ठा और समर्पण के महत्व को समझाता है। जो भक्त नियमपूर्वक इस व्रत को करते हैं और हनुमान जी की कथा सुनते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह व्रत संकटों से मुक्ति दिलाने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक है।
जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करता है, उसे हनुमान जी की कृपा से जीवन में हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। उनकी कृपा से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
हनुमान जी के भक्तों के लिए यह व्रत न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह ईश्वर के प्रति निष्ठा और आस्था का प्रतीक भी है।
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