चैत्र नवरात्रि 2025: प्रथम दिन मां शैलपुत्री | Chaitra Navratri 2025 : First Day Maa Shailputri

चैत्र नवरात्रि 2025: प्रथम दिन मां शैलपुत्री | Chaitra Navratri 2025 : First Day Maa Shailputri

Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म में एक पवित्र और शुभ पर्व है जो मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है। 2025 में, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 29 मार्च, शनिवार से होगी। पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप, मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन भक्ति, शुद्धता और आध्यात्मिक आरंभ का प्रतीक है।

मां शैलपुत्री का परिचय (Maa Shailputri Ka Parichay)

मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनका नाम ‘शैल’ (पर्वत) और ‘पुत्री’ (पुत्री) से मिलकर बना है। मां शैलपुत्री को प्रकृति की देवी माना जाता है। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। नंदी बैल उनकी सवारी है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं। भगवान शिव से विवाह के बाद, उन्होंने अपने पिता के यज्ञ में आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में, उन्होंने शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया और पुनः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व (Maa Shailputri Ka Mahatav)

मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति, दृढ़ता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि उनकी कृपा से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है और भक्त के जीवन में स्थिरता आती है।

मां शैलपुत्री की व्रत विधि (Maa Shailputri Ki Vrat Vidhi)

  1. कलश स्थापना: नवरात्रि के प्रथम दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और घर के पूजा स्थान को शुद्ध करें।
  2. कलश स्थापना करें: इसे गंगाजल से भरकर, उसके ऊपर नारियल रखें और रोली, अक्षत से पूजन करें।
  3. मां शैलपुत्री का आह्वान: मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. पूजन सामग्री: रोली, चावल, फूल, माला, फल, दुग्ध, धूप और घी का दीपक अर्पित करें।
  5. मंत्र जाप: “ॐ शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
  6. भोग: मां को सफेद रंग की मिठाई या गाय के घी से बना प्रसाद अर्पित करें।
  7. आरती: अंत में मां की आरती करें और दिनभर उपवास रखें। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो, तो फलाहार ग्रहण करें।

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा (Maa Shailputri Ki Pauranik Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित न किए जाने पर क्रोधित होकर आत्मदाह कर लिया। इसके बाद, उन्होंने हिमालय के घर शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया। उनके जन्म का उद्देश्य शिवजी से पुनः विवाह करना और संसार के कल्याण के लिए दुर्गा रूप में शक्ति का विस्तार करना था।

शुभ मुहूर्त और तिथि

  • चैत्र नवरात्रि आरंभ: 29 मार्च 2025
  • कलश स्थापना का समय: प्रातः 6:15 बजे से 7:45 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार)

नवरात्रि के प्रथम दिन की आरती (Navratri ka Pratham Din)

मां शैलपुत्री की आरती इस प्रकार है:-

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।  

तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥  

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।  

चंद्र समा शिव वाहिनी, माता चंद्र पर शोभित।  

शिव के संग शैलपुत्री, कृपा दृष्टि करे अनुकूलित॥  

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।  

शिवशक्ति स्वरूपा देवी, आदि शक्ति अविनाशी।  

सबकी इच्छा पूर्ण करने वाली, स्नेह रूपी माया प्रकाशी॥  

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।  

घी का भोग लगाते, लड्डू का भोग लगाते।  

धूप दीप से पूजन करते, आरती तेरी गाते॥  

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।  

मनवांछित फल पाता, जो मन से तुझे ध्याता।  

पाप मिटे दुख कट जाते, शुभ शक्ति तेरी गाता॥  

जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता।  

निष्कर्ष (Conclusion)

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। मां शैलपुत्री की पूजा से भक्त को अडिगता और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। इस नवरात्रि, मां की आराधना कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को पवित्र और सफल बनाएं।

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