पद्मा एकादशी, जिसे परिवर्तिनी एकादशी या वामन एकादशी भी कहा जाता है, का विशेष महत्व है। यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु वामन अवतार में पूजे जाते हैं, और यह माना जाता है कि भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा में करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं।
यह व्रत भक्तों को उनके पापों से मुक्त करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। साथ ही, यह व्रत चतुर्मास के नियमों के पालन की याद दिलाता है।
पद्मा एकादशी 2025 की तिथि और समय (Padma Ekadashi 2025 Ki Tithi Aur Samay)
- तिथि आरंभ: 6 सितंबर 2025, शनिवार को दोपहर 02:14 बजे।
- तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2025, रविवार को शाम 03:45 बजे।
- पारण का समय: 8 सितंबर 2025 को प्रातः 06:10 बजे से 08:35 बजे तक।
पद्मा एकादशी का महत्व (Padma Ekadashi Ka Mahatav)
- पापों का शमन: इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्रदान करता है।
- धर्म और पुण्य का अर्जन: व्रत के माध्यम से भक्त धर्म और पुण्य की प्राप्ति करते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
- चतुर्मास का पालन: इस दिन भगवान विष्णु के चतुर्मास व्रत का विशेष महत्व होता है।
पद्मा एकादशी व्रत कथा (Padma Ekadashi Vrat Katha)
प्राचीन काल में भद्रावती नामक नगर में एक राजा ruled करता था, जिनका नाम मान्धाता था। राजा धर्मप्रिय और न्यायप्रिय थे, लेकिन उनके राज्य में एक बार अकाल पड़ गया। प्रजा भूख और दुख से त्रस्त हो गई।
राजा ने अपनी समस्या का समाधान जानने के लिए अपने गुरुओं और ऋषियों की शरण ली। ऋषियों ने उन्हें पद्मा एकादशी व्रत का पालन करने की सलाह दी। राजा और प्रजा ने पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत किया।
इस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु की कृपा हुई और राज्य में वर्षा हुई। प्रजा सुखी और समृद्ध हो गई। तब से पद्मा एकादशी को पापों से मुक्ति और सुख-शांति प्राप्त करने का श्रेष्ठ व्रत माना जाता है।
पद्मा एकादशी व्रत विधि (Padma Ekadashi Vrat Vidhi)
- स्नान और संकल्प: सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: विष्णु भगवान की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं, तुलसी, पुष्प, और फल अर्पित करें।
- एकादशी व्रत कथा: पद्मा एकादशी की कथा का पाठ करें या श्रवण करें।
- मंत्र जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें।
- उपवास: पूरे दिन उपवास रखें और केवल फलाहार करें।
- दान का महत्व: ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें।
- पारण: द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
पद्मा एकादशी के लाभ (Padma Ekadashi Ke Labh)
- पापों से मुक्ति: यह व्रत व्यक्ति के सभी पापों को समाप्त करता है।
- मोक्ष प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से भक्त को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
- परिवार की समृद्धि: यह व्रत परिवार में सुख और समृद्धि लाता है।
- आध्यात्मिक शुद्धि: भगवान विष्णु की आराधना से आत्मा की शुद्धि होती है।
- धर्म और पुण्य का अर्जन: व्रत से धर्म और पुण्य की वृद्धि होती है।
चतुर्मास और पद्मा एकादशी का संबंध (Chaturmas Aur Padma Ekadashi Ka Sambandh)
पद्मा एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी योगनिद्रा में करवट बदलते हैं। इस दिन से चतुर्मास के नियमों का पालन और अधिक दृढ़ता से किया जाता है। भक्तों को सात्विक जीवन जीने और मांस, मदिरा, और अन्य तामसिक चीजों से बचने की सलाह दी जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पद्मा एकादशी हमें यह सिखाती है कि श्रद्धा और भक्ति से जीवन की सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। यह व्रत पापों से मुक्ति, पुण्य की प्राप्ति, और मोक्ष के मार्ग पर चलने का संदेश देता है।
जय श्री हरि!
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