रुद्राभिषेक भगवान शिव की विशेष पूजा विधि है, जिसे वैदिक रीति से किया जाता है। इसमें रुद्र के मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन के सभी कष्टों को दूर करने का सबसे प्रभावशाली साधन माना जाता है।
“रुद्र” भगवान शिव का एक स्वरूप है, जो उनके उग्र और कृपालु दोनों भावों का प्रतिनिधित्व करता है। “अभिषेक” का अर्थ है पूजा या अर्पण। इस प्रकार रुद्राभिषेक का तात्पर्य है भगवान शिव की उनके रुद्र स्वरूप में पूजा। यह पूजा जल, दूध, घी, शहद, बेलपत्र, गंगाजल और अन्य पवित्र सामग्रियों से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए की जाती है।
शास्त्रों में वर्णन:
रुद्राभिषेक का उल्लेख वेदों और पुराणों में किया गया है। खासतौर पर “यजुर्वेद” में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करते हुए अभिषेक की विधि दी गई है। यह पूजा भगवान शिव की कृपा पाने, नकारात्मकता से मुक्ति और मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए की जाती है।
रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे करने के पीछे कई कारण और लाभ हैं:
1) जल से अभिषेक
हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें– ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
2) दूध से अभिषेक
शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
3) फलों का रस
अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
4) सरसों के तेल से अभिषेक
ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
5) चने की दाल
किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
6) काले तिल से अभिषेक
तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
7) शहद मिश्रित गंगा जल
संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
8) घी व शहद
– रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
9 ) कुमकुम केसर हल्दी
आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें |
रुद्राभिषेक एक दिव्य और प्रभावशाली पूजा है, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख का आगमन होता है। यह न केवल भौतिक जीवन की समस्याओं को दूर करता है, बल्कि आत्मा की उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
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