भगवान शिव की आराधना करने वाले भक्तों के लिए “शिव पंचाक्षर स्तोत्र (Shiv Panchakshar Stotra)” एक अत्यंत प्रभावशाली और पावन स्तुति है। इस स्तोत्र की रचना आदि शंकराचार्य ने की थी, जो स्वयं महान अद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। यह स्तोत्र भगवान शिव के ‘नमः शिवाय’ मंत्र के प्रत्येक अक्षर — ‘न’, ‘म’, ‘शि’, ‘वा’, ‘य’ — को समर्पित है। इसलिए इसे “पंचाक्षर स्तोत्र” कहा जाता है।
इस स्तोत्र में हर श्लोक पंचाक्षर मंत्र के एक-एक अक्षर से प्रारंभ होता है और उस अक्षर से भगवान शिव के गुणों की स्तुति की जाती है। यह स्तुति हमें शिव के विविध रूपों, उनके सौंदर्य, उनके करुणामय स्वरूप और उनके संहारक तथा कल्याणकारी स्वरूप का बोध कराती है।
उदाहरण के लिए, पहले श्लोक में ‘न’ अक्षर द्वारा शिव की वंदना की जाती है जो सर्पों की माला धारण करते हैं, त्रिपुरों का संहार करने वाले हैं, और कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। इसी प्रकार अन्य श्लोकों में भी शिव की उपासना की जाती है जो समस्त लोकों के स्वामी, ब्रह्मा-विष्णु आदि के आराध्य, और करुणामूर्ति हैं।
पंचाक्षर स्तोत्र का जाप करने से भक्त के जीवन में शांति, बल, और आत्मिक जागृति आती है। यह स्तोत्र शिवभक्त को पापों से मुक्त करता है और मोक्ष की दिशा में अग्रसर करता है। इसे नित्य प्रातः या संध्या के समय, विशेषकर सोमवार या शिवरात्रि के दिन पढ़ना अत्यंत शुभ माना गया है।
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय तस्मै म काराय नमः शिवाय॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शि काराय नमः शिवाय॥
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै व काराय नमः शिवाय॥
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै य काराय नमः शिवाय॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
“शिव पंचाक्षर स्तोत्र” एक सरल, परंतु अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है। यह न केवल शिव की भक्ति को पुष्ट करता है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का मार्ग भी है। शिवजी की महिमा का गान करने वाला यह स्तोत्र भक्त को शिव के चरणों की ओर ले जाता है। यदि आप शिवभक्ति की गहराई में उतरना चाहते हैं, तो इस स्तोत्र को अपने जीवन का हिस्सा अवश्य बनाएं।
हर हर महादेव!