Shiv Rudrashtakam | शिव रुद्राष्टकम (Namami Shamishan) | Quick Read

Shiv Rudrashtakam | शिव रुद्राष्टकम (Namami Shamishan) | Quick Read

Introduction | परिचय (Parichay)

“रुद्राष्टकम” (Shiv Rudrashtakam) भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तुति है, जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह स्तुति संस्कृत में रचित है और इसका पाठ आठ श्लोकों (अष्टक) में होता है, इसलिए इसे “रुद्र+अष्टकम” कहा गया है — अर्थात “रुद्र के लिए रचा गया आठ पदों वाला स्तोत्र”। यह शिव के महान, निर्गुण और निराकार स्वरूप का भावपूर्ण गुणगान है।


Origin | रचना की पृष्ठभूमि (Rachna KI Prishthbhumi)

यह अष्टक “श्रीरामचरितमानस” के उत्तरकांड में आता है, जब तुलसीदास जी ने काशी में भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान शिव के अनुग्रह से ही उन्हें श्रीराम के दर्शन हुए थे। इस रचना में तुलसीदास जी ने शिव के अद्वितीय स्वरूप, उनकी महिमा, उनके वैराग्य और करुणा का चित्रण बड़े ही मार्मिक शब्दों में किया है।


Interpretation | रुद्राष्टकम का भावार्थ (Shiv Rudrashtakam Ka Bhavarth)

इस स्तोत्र में शिव को –

  • निर्गुण, निर्विकार, निराकार कहा गया है।
  • त्रिनेत्रधारी, गंगाधर, और भूतनाथ के रूप में पूजा गया है।
  • उनके विकराल तांडव और साथ ही करुणा से भरे सौम्य रूप का सुंदर समन्वय दिखाया गया है।

श्लोकों में शिव को ऐसे देव के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो समय, मृत्यु, भय, और मोह से परे हैं। वे संहारक होकर भी कल्याणकारी हैं। यही कारण है कि शिव को “सदाशिव” कहा गया है।


The Sacred Method of Shiv Rudrashtakam Recitation | रुद्राष्टकम पाठ विधि (Rudrashtakam Path vidhi)

  • स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर या शिवलिंग के सामने दीप जलाएं।
  • “ॐ नमः शिवाय” का जप करें और फिर शांत चित्त होकर रुद्राष्टकम का पाठ करें।
  • सोमवार, प्रदोष या शिवरात्रि के दिन विशेष फलदायी माना जाता है।

Spiritual Benefits of Shiv Rudrashtakam Recitation | रुद्राष्टकम पाठ के लाभ (Rudrashtakam Path Ke Labh)

  • शिव कृपा की प्राप्ति: भक्त के हृदय में शिव के प्रति गहन भक्ति और समर्पण उत्पन्न होता है।
  • नकारात्मकता का नाश: भय, क्रोध, लोभ जैसे मानसिक दोषों से मुक्ति मिलती है।
  • मुक्ति की ओर मार्ग: शिव का स्मरण जीवन को आध्यात्मिक दिशा देता है और मोक्ष की ओर ले जाता है।
  • रक्षा कवच: यह स्तोत्र एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच का काम करता है, विशेषकर कठिन समय में।
  • मन की शांति: रोजाना इसका पाठ करने से मन शांत रहता है और ध्यान में स्थिरता आती है।
  • कर्मों का शुद्धिकरण: पूर्व जन्मों के पापों का क्षय होता है और जीवन में शुभता आती है।

Shiv Rudrashtakam | रुद्राष्टकम

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्।  
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥  

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं, गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥  

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा, लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥  

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥  

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥  

कलातीत कल्याण कल्पांतकारी, सदा सज्जनानन्द दाता पुरारी।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥  

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।
न तावद् सुखं शान्ति सन्तापनाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्॥  

न जानामि योगं जपं नैव पूजां, नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥ 

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥


Conclusion | निष्कर्ष

रुद्राष्टकम केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि शिव के प्रति समर्पण की गूढ़ अनुभूति है। इसके माध्यम से भक्त शिव की उस दिव्यता को अनुभव करता है जो सभी रूपों और सीमाओं से परे है। यह स्तोत्र एक ऐसा मंत्र है जो जीवन को भक्ति, ज्ञान, और मुक्ति से जोड़ता है।