Shiv Stuti | शिव स्तुति : आशुतोष शशांक शेखर

Shiv Stuti | शिव स्तुति : आशुतोष शशांक शेखर

Introduction | परिचय (Parichay)

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक स्तुतियाँ और मंत्रों का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। उन्हीं में से एक अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली है “शिव स्तुति” (Shiv Stuti) – “अशुतोष शशांकशेखर स्तुति”। यह स्तुति भगवान शिव के सौम्य, करुणामय, और रुद्र स्वरूप का एक अद्भुत चित्रण करती है। इसमें शिव के उन रूपों की वंदना की गई है जो भक्तों की मनोकामनाएँ तुरंत पूर्ण करने वाले हैं।


Meaning and Significance of Shiv Stuti | शिव स्तुति अर्थ और विशेषताएं

इस स्तुति में भगवान शिव को “आशुतोष” कहा गया है – अर्थात जो थोड़े से पूजन, जलार्पण, अथवा सच्चे भाव से प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें “शशांक शेखर” भी कहा गया है – अर्थात जिनके जटाजूट में चंद्रमा विराजमान है।

स्तुति के अन्य नामों में शिव को त्रिनेत्रधारी, गंगाधर, नीलकंठ, भूतनाथ, और कालों के काल के रूप में वर्णित किया गया है। यह स्तुति भगवान शिव के इन सभी रूपों को समर्पित है। इसके श्लोक सरल संस्कृत में होते हैं, जिन्हें भक्तगण प्रातः या संध्या के समय श्रद्धा से पढ़ते हैं।


Chanting Rituals | शिव स्तुति के पाठ की विधि

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें
  • शिवलिंग या भगवान शिव के चित्र के सामने दीपक और धूप लगाएं
  • ॐ नमः शिवाय” मंत्र का स्मरण करते हुए मन शांत करें
  • फिर स्तुति के श्लोकों का श्रद्धा से पाठ करें
  • अंत में भगवान शिव से आशीर्वाद की प्रार्थना करें और जल अर्पित करें

Benefits of Shiv Stuti | शिव स्तुति पाठ के लाभ

  • भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है, क्योंकि वे आशुतोष हैं
  • जीवन की कठिनाइयों और कष्टों से मुक्ति मिलती है
  • मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
  • रोग, भय, मोह, और क्रोध जैसी मानसिक अशांति का नाश होता है
  • घर और जीवन में सुख-समृद्धि और संतुलन आता है
  • भक्त का ध्यान भगवान शिव में स्थिर होता है और आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होता है

Shiv Stuti | शिव स्तुति

आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥

निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा ॥

निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा ॥

शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा ॥

नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा ॥

जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा ॥

जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥

आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
कोटि नमन दिगम्बरा..


Conclusion | निष्कर्ष

आशुतोष शशांक शेखर” स्तुति भगवान शिव की सच्ची आराधना का सरल और प्रभावशाली माध्यम है। यह स्तुति न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल देती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करती है। जो भी श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके जीवन में भगवान शिव की कृपा अवश्य बरसती है।


हर हर महादेव
ॐ नमः शिवाय