शुक्रवार व्रत का महत्त्व और पूजा विधि | Shukrawar Vrat Ka Mahatav Aur Pooja Vidhi

शुक्रवार व्रत का महत्त्व और पूजा विधि | Shukrawar Vrat Ka Mahatav Aur Pooja Vidhi

शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी जी और संतोषी माता को समर्पित है। इस दिन को शुक्र ग्रह का दिन माना जाता है, जो धन, समृद्धि, प्रेम और वैवाहिक सुख का कारक है। देवी लक्ष्मी धन और वैभव की देवी हैं, जबकि संतोषी माता संतोष और सुख-शांति की प्रतीक हैं।

इस दिन महिलाएं विशेष रूप से व्रत और पूजा करती हैं ताकि उनके परिवार में धन-धान्य और खुशहाली बनी रहे।

शुक्रवार व्रत की पूजा विधि (Shukrawar Vrat Ki Pooja Vidhi)

शुक्रवार को देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर की साफ-सफाई करें।
  2. देवी लक्ष्मी या संतोषी माता की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  3. सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।
  4. माता को गुड़ और चने का भोग लगाएं। संतोषी माता की पूजा में खट्टे पदार्थ न चढ़ाएं।
  5. माता की आरती करें और अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

शुक्रवार व्रत का महत्व (Shukrawar Vrat Ka Mahatav)

शुक्रवार का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। यह व्रत वैवाहिक जीवन को मधुर बनाता है और धन की कमी को दूर करता है। ऐसा माना जाता है कि जो श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं, उन्हें देवी लक्ष्मी और संतोषी माता की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

शुक्रवार की आरती (Shukrawar Ki Aarti)

श्री लक्ष्मी माता की आरती॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ 

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
(मैया, तुम ही जग-माता)
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत (सूर्य-चंद्रमा ध्यावत)
नारद ऋषि गाता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख, संपत्ति दाता
(मैया, सुख, संपत्ति दाता)
जो कोई तुमको ध्यावत (जो कोई तुमको ध्यावत)
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
(मैया, तुम ही शुभ दाता)
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी (कर्म प्रभाव प्रकाशिनी)
भवनिधि की त्राता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

जिस घर तुम रहती तः सब सद्गुण आता
(मैया, सब सद्गुण आता)
सब संभव हो जाता (सब संभव हो जाता)
मन नहीं घबराता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

तुम बिन यज्ञ ना होते, वस्त्र ना हो पाता
(मैया, वस्त्र ना हो पाता)
खान-पान का वैभव (खान-पान का वैभव)
सब तुमसे आता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
(मैया, क्षीरोदधि जाता)
रत्न चतुर्दश तुम बिन (रत्न चतुर्दश तुम बिन)
कोई नहीं पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता
(मैया, जो कोई नर गाता)
उर आनंद समाता (उर आनंद समाता)
पाप उतर जाता (ॐ जय लक्ष्मी माता) ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ 

निष्कर्ष (Conclusion)

शुक्रवार के दिन माता की पूजा और व्रत से जीवन में शांति, संतोष और वैभव आता है। यह दिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और इस दिन की पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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