पद्म पुराण (Padma Puran) अठारह महापुराणों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विशाल ग्रंथ है। यह पुराण वैष्णव परंपरा में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु, उनके अवतारों, भक्ति मार्ग, तीर्थ यात्रा और धर्म के अनेक स्वरूपों का अत्यंत सुंदर वर्णन मिलता है।
पद्म पुराण को इसकी कोमल, सौम्य और भक्तिपूर्ण भाषा के कारण “पद्म” नाम दिया गया है, जो “कमल” का प्रतीक है — अर्थात वह जो निर्मल, दिव्य और धर्म का आधार हो।
पद्म पुराण (Padma Puran) कुल 55,000 श्लोकों में विभाजित है और यह छह खंडों (खंडों) में बँटा हुआ है:
प्रत्येक खंड में धर्म, कर्म, योग, तीर्थ, व्रत और श्रीविष्णु भक्ति से जुड़े विषय विस्तार से बताए गए हैं।
सृष्टि खंड में ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की उत्पत्ति, मनुओं की रचना और धर्म के चार पायों – सत्य, तप, दया, और दान – की स्थापना का वर्णन है।
भूमि खंड और उत्तर खंड में भारत के अनेक तीर्थों जैसे:
की महिमा और उनसे जुड़े पुण्य फलों का विवरण मिलता है। तीर्थयात्रा को मोक्ष की प्राप्ति का सरल और भक्तिमय मार्ग बताया गया है।
भगवान विष्णु के अनेक रूपों — जैसे मत्स्य, कूर्म, वराह, राम, और कृष्ण — की लीलाओं का वर्णन करते हुए, यह पुराण बताता है कि किस प्रकार नारायण सृष्टि की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं।
पद्म पुराण (Padma Puran) में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति नियमपूर्वक एकादशी का व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा सहज रूप से प्राप्त होती है।
कृति खंड में साधु संगति, हरि कथा श्रवण और नाम संकीर्तन की महिमा गाई गई है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि कलियुग में केवल हरिनाम ही मोक्ष का द्वार है।
उत्तर खंड में आदर्श परिवार, नारी की भूमिका, पुत्र धर्म, पितृ ऋण और समाज में संयमित जीवन की व्याख्या की गई है। यहाँ स्त्रियों के धर्म और मर्यादा का गहराई से वर्णन मिलता है।
पद्म पुराण (Padma Puran) एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जो भक्तों को सरल मार्ग दिखाते हुए धर्म की गहराई से परिचित कराता है। इसकी कथाएँ, व्रत विधियाँ और तीर्थ महिमा पाठकों को न केवल ज्ञान देती हैं, बल्कि उन्हें आत्मिक शांति और ईश्वर के प्रति अनुरक्ति भी प्रदान करती हैं।
यह पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक है और इसकी संरचना अत्यंत विस्तृत तथा विषयवस्तु अत्यंत समृद्ध है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, धर्म के विभिन्न स्वरूप, भगवान विष्णु की महिमा, माता लक्ष्मी की उपासना, विविध व्रतों की विधियाँ, तथा पवित्र तीर्थ स्थलों का वर्णन मिलता है। इसके अलावा इसमें सदाचार, भक्ति, कर्म और ज्ञान का समन्वय किया गया है, जो मानव जीवन को श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। पद्म पुराण न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल करता है, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है।