प्रबोधिनी एकादशी 2025 | Prabodhini Ekadashi 2025

प्रबोधिनी एकादशी 2025 | Prabodhini Ekadashi 2025

प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जिसे “देवोत्थान एकादशी” भी कहते हैं। इस वर्ष 2025 में, प्रबोधिनी एकादशी 14 नवंबर को है। यह दिन देवताओं के जागरण और पापों के नाश का प्रतीक है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे विशेष रूप से भगवान विष्णु के जागरण का दिन माना जाता है।

प्रबोधिनी एकादशी 2025 तिथि और समय (Prabodhini Ekadashi 2025 Tithi Aur Samay)

  • तिथि: प्रबोधिनी एकादशी – कार्तिक शुक्ल एकादशी
  • तिथि प्रारंभ: 13 नवंबर 2025, दोपहर 12:45 बजे
  • तिथि समाप्त: 14 नवंबर 2025, दोपहर 12:52 बजे
  • विशेष पूजा समय: प्रातः 4:30 से 7:30 बजे तक

प्रबोधिनी एकादशी महत्व (Prabodhini Ekadashi Mahatav)

प्रबोधिनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि इसी दिन से भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं। यह दिन भगवान के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन भगवान के जागने से पुण्य कार्यों की वृद्धि होती है और पापों का नाश होता है। प्रबोधिनी एकादशी व्रत करने से जीवन के सारे संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा (Prabodhini Ekadashi Vrat Katha)

पुराणों के अनुसार, प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एक समय की बात है, एक ब्राह्मण अपने पितरों की शांति के लिए दान में गेहूं, तेल, दूध और घी देने के लिए जा रहा था। रास्ते में उसे देवता दिखे जो उससे भोजन मांग रहे थे। ब्राह्मण ने उनकी भिक्षा में कुछ नहीं दिया। देवताओं ने उसे समझाया कि उसका यह कर्म उसके पितरों के उद्धार में बाधा डाल रहा है। ब्राह्मण को बताया गया कि वह प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करे और अपने पितरों की रक्षा करे। ब्राह्मण ने व्रत किया और इसके पुण्य से उसके पितर मोक्ष को प्राप्त हुए।

प्रबोधिनी एकादशी व्रत विधि (Prabodhini Ekadashi Vrat Vidhi)

  • प्रातःकाल स्नान: प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध होकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • मुल्य वस्त्र और आभूषण: भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति पर सफेद वस्त्र चढ़ाएं। उस पर सुंदर श्रृंगार करें और सुगंधित फूल अर्पित करें।
  • धूप और दीप: भगवान के सामने धूप और दीप जलाएं।
  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ: इस दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करें या रामायण का पाठ करें।
  • व्रत भजन और कीर्तन: दिनभर भजन-कीर्तन और भगवान के नाम का जप करें।
  • निर्जल उपवास: इस दिन उपवास रखें, केवल फल, दूध, और जल ग्रहण करें।
  • आरती और मंत्र जाप: शाम को आरती करें और मंत्रों का जाप करें।

प्रबोधिनी एकादशी के लाभ (Prabodhini Ekadashi Ke Labh)

  1. पुण्य की प्राप्ति: प्रबोधिनी एकादशी व्रत करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत पापों का नाश करता है और पुण्य की वृद्धि करता है।
  2. शरीर की शुद्धि: एकादशी के व्रत से शरीर की शुद्धि होती है और मानसिक शांति मिलती है।
  3. भगवान का आशीर्वाद: भगवान विष्णु के प्रति सच्ची श्रद्धा से इस व्रत का पालन करने पर भक्तों को उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
  4. मोक्ष की प्राप्ति: इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति अपने जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रबोधिनी एकादशी का पर्व विशेष रूप से भगवान विष्णु के जागरण और पापों के नाश का प्रतीक है। इस दिन भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और व्रत के पालन से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इस पर्व का पुण्य हर किसी को प्राप्त होता है जो इसका पालन करता है। सभी को इस पावन पर्व पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त हो और सभी प्रकार के पापों से दूर रहें।

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