प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जिसे “देवोत्थान एकादशी” भी कहते हैं। इस वर्ष 2025 में, प्रबोधिनी एकादशी 14 नवंबर को है। यह दिन देवताओं के जागरण और पापों के नाश का प्रतीक है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे विशेष रूप से भगवान विष्णु के जागरण का दिन माना जाता है।
प्रबोधिनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि इसी दिन से भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं। यह दिन भगवान के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन भगवान के जागने से पुण्य कार्यों की वृद्धि होती है और पापों का नाश होता है। प्रबोधिनी एकादशी व्रत करने से जीवन के सारे संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पुराणों के अनुसार, प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एक समय की बात है, एक ब्राह्मण अपने पितरों की शांति के लिए दान में गेहूं, तेल, दूध और घी देने के लिए जा रहा था। रास्ते में उसे देवता दिखे जो उससे भोजन मांग रहे थे। ब्राह्मण ने उनकी भिक्षा में कुछ नहीं दिया। देवताओं ने उसे समझाया कि उसका यह कर्म उसके पितरों के उद्धार में बाधा डाल रहा है। ब्राह्मण को बताया गया कि वह प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करे और अपने पितरों की रक्षा करे। ब्राह्मण ने व्रत किया और इसके पुण्य से उसके पितर मोक्ष को प्राप्त हुए।
प्रबोधिनी एकादशी का पर्व विशेष रूप से भगवान विष्णु के जागरण और पापों के नाश का प्रतीक है। इस दिन भगवान के प्रति सच्ची भक्ति और व्रत के पालन से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। इस पर्व का पुण्य हर किसी को प्राप्त होता है जो इसका पालन करता है। सभी को इस पावन पर्व पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त हो और सभी प्रकार के पापों से दूर रहें।
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