Utpanna Ekadashi : उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एकादशी व्रतों में से एक है। यह व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इसे भगवान विष्णु और उनकी शक्ति ‘एकादशी देवी’ की उत्पत्ति का पर्व माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी व्रत को पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
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Toggleउत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और समय | Utpanna Ekadashi 2025 Ki Tithi or Samay
तिथि: 22 नवंबर 2025 (शनिवार)
एकादशी तिथि प्रारंभ: 21 नवंबर 2025 को रात 9:10 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 22 नवंबर 2025 को रात 10:45 बजे
व्रत पारण समय: 23 नवंबर 2025 को सुबह 6:50 बजे से 8:55 बजे तक
उत्पन्ना एकादशी का महत्व | Utpanna Ekadashi Ka Mahatav
यह एकादशी भगवान विष्णु की महिमा को समर्पित है। उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ‘एकादशी देवी’ का प्राकट्य हुआ था। भगवान विष्णु की इस शक्ति ने असुरों के राजा मुर को पराजित कर धर्म की रक्षा की थी। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन के पाप समाप्त होते हैं, और मोक्ष प्राप्त होता है।
उत्पन्ना एकादशी पौराणिक कथा | Utpanna Ekadashi Pauranik Katha
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक भयंकर असुर ‘मुर’ ने सभी देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने मुर को पराजित करने के लिए युद्ध किया, लेकिन मुर अजेय साबित हुआ।
थककर भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम में आराम करने गए। तभी मुर ने भगवान पर हमला करने की कोशिश की। भगवान विष्णु की शक्ति से एक दिव्य कन्या प्रकट हुई, जिसने मुर का वध कर दिया। यह कन्या ‘एकादशी देवी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की इस तिथि को जो भी व्रत रखेगा, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे।
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि | Utpanna Ekadashi Pooja Vidhi
- स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की पूजा: तुलसी पत्र, चंदन, धूप-दीप और प्रसाद से भगवान विष्णु की पूजा करें।
- एकादशी कथा का पाठ: उत्पन्ना एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें।
- दान-पुण्य: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें।
- निर्जल व्रत या फलाहार: व्रत के दिन अन्न ग्रहण न करें।
उत्पन्ना एकादशी व्रत के लाभ | Utpanna Ekadashi Vrat Ke Labh
- पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है।
- पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।
- भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
निष्कर्ष | Conclusion
उत्पन्ना एकादशी व्रत का पालन कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को पवित्र बनाएं। यह व्रत न केवल हमें अध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
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