उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृंदावन केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण प्रेमियों के हृदय की धड़कन है। इसी वृंदावन में स्थित है — श्री बांके बिहारी जी मंदिर, जो श्रीकृष्ण भक्ति का जीवंत केंद्र है। इस मंदिर की महिमा, उसकी रसिक परंपरा, और बांके बिहारी जी के दर्शन का अद्भुत अनुभव भक्तों को भाव-विभोर कर देता है।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर का इतिहास और स्थापना | Shri Banke Bihari Ji Mandir ka Itihasa aur Sthapana
बांके बिहारी जी की मूर्ति का प्राकट्य स्वामी हरिदास जी की भक्ति से हुआ था, जो स्वयं श्रीकृष्ण के प्रिय सखाओं में से एक ललिता सखी के अवतार माने जाते हैं। 15वीं शताब्दी के दौरान स्वामी हरिदास जी की भक्ति से प्रसन्न हो श्री बांके बिहारी जी निधुवन स्थित विशाखा कुंड से प्रकट हुए | स्वामी हरिदास जी द्वारा बांके बिहारी जी की सेवा बहुत समय तक निधुवन में की गई तत्पश्चात मंदिर बनने पर बिहारी जी को वर्तमान मंदिर में विराजित किया गया।
यह वही बांके बिहारी जी की प्रतिमा है — जिसमें राधा और कृष्ण दोनों की झलक मिलती है। ‘बांके’ का अर्थ है ‘टेढ़े’ और ‘बिहारी’ अर्थात वृंदावन के स्वामी। यह नाम उन्हें उनके विशिष्ट त्रिभंग मुद्रा में खड़े होने के कारण मिला है।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर की विशेषता | Shri Banke Bihari Ji Mandir Ki Visheshta
- त्रिभंगी मुद्रा : श्री बांके बिहारी जी की मूर्ति त्रिभंग मुद्रा में है — यानी तीन स्थानों पर शरीर मुड़ा हुआ है — जो उनकी मोहक छवि को दर्शाता है।
- आँखों में आँखें नहीं डाल सकते : मंदिर में दर्शन करते समय, कुछ क्षणों के बाद पर्दा खींच दिया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बांके बिहारी जी की दृष्टि इतनी सम्मोहक है कि भक्त उनके सौंदर्य में खो सकता है और चेतना खो सकता है।
- नित्य सेवा, परन्तु कोई घंटा-घड़ियाल नहीं : इस मंदिर में आरती की परंपरा नहीं है, क्योंकि बांके बिहारी जी को शांति प्रिय माना गया है। यहाँ उन्हें दिन में केवल एक बार मंगला आरती होती है, वो भी केवल जन्माष्टमी, कार्तिक पूर्णिमा जैसे विशेष अवसरों पर।
- स्वभाव में लाडले : बांके बिहारी जी को प्रसाद, फूल, वस्त्र आदि सब कुछ प्रेमपूर्वक ‘लाड’ में अर्पित किया जाता है — जैसे माता अपने बालक को सजाती-सँवारती है।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर की दर्शन व्यवस्था | Shri Banke Bihari Ji Mandir Darshan Vyavastha
मंदिर प्रातः और सायं दो समय खुलता है:
- ग्रीष्मकाल (गर्मी में):
- प्रातःकाल – 7:45 बजे से 12:00 बजे तक
- संध्या – 5:30 बजे से 9:30 बजे तक
- शीतकाल (सर्दी में):
- प्रातः – 8:45 बजे से 1:00 बजे तक
- संध्या – 4:30 बजे से 8:30 बजे तक
हर कुछ मिनट में पर्दा डाला और उठाया जाता है ताकि भक्त और भगवान दोनों के बीच का भाव बना रहे।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर के त्योहार और विशेष आयोजन | Shri Banke Bihari Ji Mandir Tyohar Aur Vishesh Aayojan
- झूलन उत्सव (श्रावण मास): भगवान को रेशमी झूलों पर झुलाया जाता है, पूरा मंदिर पुष्पों से सजाया जाता है।
- होली: वृंदावन की होली विश्वप्रसिद्ध है, और बांके बिहारी मंदिर इसका प्रमुख केंद्र होता है। यहाँ पुष्पों और गुलाल से होली खेली जाती है।
- राधाष्टमी और जन्माष्टमी: इन पर्वों पर हजारों भक्त यहाँ दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
- शरद पूर्णिमा रास: रात्रि के समय रासलीला के विशेष भाव से सजीवता आती है मंदिर में।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर की वास्तुकला | Shri Banke Bihari Ji Mandir ki Vastukala
मंदिर का निर्माण 1864 में राजा सावन सिंह (राजा रावल) द्वारा कराया गया था। इसकी स्थापत्य शैली राजस्थानी और मुग़ल प्रभावों का सुंदर समागम है। लाल पत्थर, जालीदार खिड़कियाँ, और ऊँचे स्तंभ मंदिर को अत्यंत भव्य बनाते हैं।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर कैसे पहुँचे | Shri Banke Bihari Ji Kaise Pahuche
- निकटतम रेलवे स्टेशन: मथुरा जंक्शन (12 किमी)
- सड़क मार्ग: वृंदावन दिल्ली, आगरा, नोएडा और जयपुर से सीधे जुड़ा है।
- निकटतम हवाई अड्डा: आगरा (72 किमी) और दिल्ली (160 किमी)
वृंदावन पहुँचने के बाद ई-रिक्शा और पैदल ही मंदिर तक पहुँचना सुविधाजनक होता है।
यात्रा का सर्वोत्तम समय | Yatra Ka Sarvottam Samay
- अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे उपयुक्त होता है — मौसम सुहावना होता है और त्योहारों की भरमार रहती है।
- कार्तिक मास में वृंदावन की विशेष भव्यता देखने को मिलती है।
निष्कर्ष | Conclusion
श्री बांके बिहारी जी मंदिर केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जहाँ भक्त श्रीकृष्ण के साथ हृदय से जुड़ जाते हैं। यहाँ आने वाला हर भक्त एक ऐसा रस पाता है जो शब्दों में नहीं समा सकता। हर दर्शन, हर झलक, और हर झूमता भजन हमें श्रीकृष्ण की गोद में बैठने जैसा सुकून देता है।
यदि आप कभी वृंदावन जाएँ, तो इस मंदिर के द्वार तक आकर ‘राधे राधे’ कहना न भूलें — हो सकता है स्वयं बिहारी जी आपको बुला रहे हों!
Read More : Related Article