श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga) : 12 ज्योतिर्लिंगों में आठवां  

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga) : 12 ज्योतिर्लिंगों में आठवां  

सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरीतीरपवित्रदेशे । यद्दर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे ।।

अर्थात् जो गोदावरी तट के पवित्र देश में सह्य पर्वत के विमल शिखर पर वास करते हैं, जिनके दर्शन से तुरन्त ही पातक नष्ट हो जाता है, उन श्री त्र्यम्बकेश्वर का मैं स्तवन करता हूँ l

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर ब्रह्मगिरि पर्वत की तलहटी में बसा है और गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी यहीं है, जिससे इसे और भी विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त होता है। भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग तीन रूपों में प्रतिष्ठित है, जो उनके शक्ति, सुरक्षा और विनाशकारी स्वरूप को दर्शाता है।

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा (Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga Utpatti Katha)

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा शिव पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, एक समय जब ब्रह्मगिरी पर्वत पर भयानक अकाल पड़ा तब महर्षि गौतम ने अपने तप से  भगवान वरुण  को प्रसन्न किया और वरदान में जल वृष्टि मांगी किंतु वरुण देव ने वृष्टि के लिए मना कर गौतम ऋषि को एक गड्ढा करने को कहा जिसे वरुण देव ने कभी न खत्म होने वाले दिव्य जल से भर दिया, लेकिन कुछ ऋषियों ने उनके विरुद्ध षड्यंत्र रचा और उन्हें गौ हत्या का दोषी ठहराया। 

महर्षि गौतम ने गौ हत्या के दोष  मुक्ति के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने ऋषि गौतम को दर्शन दिए l ऋषि गौतम ने वरदान में गंगा को धरती पर प्रकट करने का वरदान मांगा किंतु मां गंगा ने शिव जी कहा कि यदि मेरा महत्व बाकी सभी नदियों से ज्यादा रहेगा और आप भी मेरे साथ यहां निवास करेंगे तभी में इस धरातल पर रहूंगी l तब भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में ब्रह्मगिरी पर स्थित हो गए l तत्पश्चात मां गंगा ने महर्षि गौतम को पाप से मुक्त किया और तभी से शिव जी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग  के रूप में ब्रह्मगिरी पर्वत पर विराजमान हैं l 

मां गंगा का वह रूप गौतमी कहलाया जिसे वर्तमान में गोदावरी भी कहा जाता है।  

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व (Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga Dharmik Mahatav)

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। यहां भगवान शिव की पूजा करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है और भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। खासकर महाशिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान यहां पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है। यह ज्योतिर्लिंग विशेष रूप से त्रिनेत्र स्वरूप में प्रतिष्ठित है, जिससे यह और भी अधिक पूजनीय और महत्वपूर्ण हो जाता है।

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला (Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga Mandir Vastukala)

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला बेहद अद्वितीय है। यह मंदिर हेमाडपंथी शैली में बना हुआ है, जो महाराष्ट्र की प्राचीन स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। मंदिर का गर्भगृह बेहद भव्य और आकर्षक है, जिसमें भगवान शिव के त्रिनेत्र रूप में प्रतिष्ठित शिवलिंग की पूजा की जाती है। मंदिर के चारों ओर स्थित शिखर और नक्काशी अत्यंत आकर्षक हैं, जो यहां की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करते हैं।

गोदावरी नदी का उद्गम स्थल (Godavari Nadi Udgam Sthal)

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की एक विशेषता यह भी है कि यह गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है, जिसे दक्षिण गंगा और गौतमी नदी के नाम से भी जाना जाता है। श्रद्धालु यहां आकर गोदावरी नदी के पवित्र जल में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर स्नान करने से सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा का समय  (Best Time to Travel Shri Trimbakeshwar Jyotirlinga)

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा करने के लिए सबसे उत्तम समय महाशिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान होता है, जब यहां विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। इस दौरान श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। इसके अलावा, मानसून के बाद का समय भी यात्रा के लिए उपयुक्त माना जाता है, जब प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है और भक्त आसानी से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

 निष्कर्ष (Conclusion)

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अद्वितीय रूप की पूजा का प्रमुख केंद्र है और इसे मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति का द्वार माना जाता है। यहां की धार्मिक आस्था और पौराणिक महिमा भक्तों को आकर्षित करती है, और वे अपने जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए यहां भगवान शिव की शरण में आते हैं।श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर भी है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिकता की गहरी जड़ों को दर्शाता है।

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक और धार्मिक अनुभव है, जो उन्हें भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद से पूर्ण करती है।

श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए आप उनकी official website visit कर सकते हैं l 

यदि आप अन्य ज्योतिर्लिंगों जैसे श्री महाकालेश्वर, ओम्कारेश्वर, भीमाशंकर आदि के गर्भगृह से दर्शन करना चाहते है तो आप अपने नजदीकी दुर्लभ दर्शन केंद्र पर जाकर दर्शन कर सकते हैं l

अगर आप घर बैठे प्रमुख मंदिरों एवं ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहते हैं तो आज ही आर्डर करे दुर्लभ दर्शन किट। जिसमे VR हेडसेट की मदद से आप 3D 360 डिग्री में अपने आराध्य  को निकट से देख सकते हैं।

दुर्लभ दर्शन एप्लीकेशन के द्वारा आप भगवान के समीप जब तक चाहे तब तक बैठ सकते हैं और कभी भी कहीं से भी भगवान के दर्शन कर सकते हैं।

Durlabh Darshan Application Download करें l