सनातन धर्म में माघ मास को विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है। यह हिंदू पंचांग का 11वां महीना है, जो पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है। यह मास पवित्रता, भक्ति, और तपस्या का प्रतीक है। मान्यता है कि माघ मास में किए गए स्नान, दान, और पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
स्कंद पुराण और अन्य ग्रंथों में माघ मास का उल्लेख “मोक्षदायक मास” के रूप में किया गया है। इसे विशेषतः भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना के लिए उपयुक्त माना गया है।
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
स्नान के बाद भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें।
श्रीमद्भगवद्गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
माघ मास में सूर्य देव की आराधना को विशेष महत्व दिया गया है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाने से स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सूर्य मंत्र:
ॐ आदित्याय च सोमाय मंगलाय बुधाय च।
गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः।।
यह मंत्र नित्य सूर्य देव को अर्पित करें।
माघ मास का समापन माघ पूर्णिमा के दिन होता है। इस दिन संगम पर स्नान, दान, और पूजा करना अत्यधिक शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
माघ मास में झूठ, छल-कपट, और किसीत्व दिया गया है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाने से स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
ॐ घृणिः सूर्याय नमः।
श्री विष्णु जी की आरती:
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।
स्वामी दुःख बिनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, सुख सम्पत्ति घर आवे।
कष्ट मिटे तन का॥
माघ मास केवल पूजा और दान का समय नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और अध्यात्म की ओर अग्रसर होने का अवसर भी है। इस महीने में किया गया तप, जप, और ध्यान न केवल जीवन को सुखमय बनाता है, बल्कि आत्मा को मोक्ष की ओर भी ले जाता है।
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