पौष पूर्णिमा 2025 | Paush Purnima 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में स्नान का महत्व और विधि

पौष पूर्णिमा 2025 | Paush Purnima 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में स्नान का महत्व और विधि

पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक पवित्र पर्व है, जो पौष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। 2025 में, पौष पूर्णिमा का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी 12 जनवरी 2025 को रात 11:50 बजे और समाप्त होगी 13 जनवरी 2025 को रात 10:35 बजे। यह दिन प्रयागराज महाकुंभ में प्रथम प्रमुख स्नान पर्व के रूप में मनाया जाएगा

प्रयागराज महाकुंभ और पौष पूर्णिमा का महत्व (Prayagraj Mahakumbh Aur Paush Purnima Ka Mahatav)

2025 का महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित होने वाला है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। पौष पूर्णिमा पर संगम में स्नान महाकुंभ का पहला प्रमुख स्नान पर्व होगा।

महाकुंभ में स्नान करने का महत्व इस तथ्य से जुड़ा है कि यह स्थान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम स्थल है, जिसे “तीर्थराज” भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, इस स्थान पर स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथा के अनुसार:
माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत कलश निकला, तो अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। यही कारण है कि इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। पौष पूर्णिमा का स्नान इन स्थानों पर विशेष पुण्यफलदायी होता है।

संगम पर स्नान का महत्व (Sangam Par Snan Ka Mahatav)

पौष पूर्णिमा के दिन प्रयागराज में संगम पर लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन पूर्णिमा और गंगा, यमुना, और सरस्वती के त्रिवेणी संगम की ऊर्जा से भरपूर होता है। संगम पर स्नान करने से व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक दोष समाप्त हो जाते हैं।

  1. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग: इस दिन स्नान करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. दान और पुण्य का अवसर: स्नान के साथ-साथ दान करने का विशेष महत्व है। महाकुंभ में पौष पूर्णिमा पर दान करना सौ गुना अधिक फलदायी माना गया है।
  3. आध्यात्मिक ऊर्जा: संगम पर स्नान करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और वह दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है।

पौष पूर्णिमा स्नान विधि (Paush Purnima Snan Vidhi)

महाकुंभ में पौष पूर्णिमा के दिन संगम पर स्नान की विधि इस प्रकार है:

  1. प्रातःकाल उठकर संकल्प लें: स्नान से पहले भगवान शिव, विष्णु और गंगा माता का ध्यान करें और पुण्य की प्राप्ति का संकल्प लें।
  2. संगम पर स्नान करें: त्रिवेणी संगम पर जाकर तीन बार डुबकी लगाएं। स्नान के समय “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ गंगे च यमुने चैव सरस्वती” मंत्र का जाप करें।
  3. दान-पुण्य करें: स्नान के बाद जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न और धन का दान करें।
  4. पूजा-अर्चना करें: स्नान के बाद संगम तट पर ही भगवान विष्णु और शिव का पूजन करें। सत्यनारायण कथा सुनना भी शुभ माना जाता है।
  5. भोजन और ब्राह्मण सेवा: ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना विशेष फलदायी होता है।

महाकुंभ में पौष पूर्णिमा पर प्रमुख गतिविधियां (Mahakumbh Me Paush Purnima Par Pramukh Gatividhiya)

  1. साधु-संतों का संगम स्नान: इस दिन विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और महामंडलेश्वर संगम पर स्नान करते हैं। नागा साधुओं की दिव्य शोभायात्रा और स्नान दर्शनीय होती है।
  2. गंगा आरती: संगम तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन होता है, जिसमें हजारों दीपों से संगम का वातावरण दिव्य और अद्भुत हो जाता है।
  3. भजन-कीर्तन और सत्संग: महाकुंभ में पौष पूर्णिमा के दिन भजन-कीर्तन, कथा और प्रवचन का आयोजन होता है, जिसमें भक्त आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
  4. अखाड़ों का प्रदर्शन: इस दिन विभिन्न अखाड़े अपने पारंपरिक और धार्मिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन करते हैं, जो महाकुंभ का एक मुख्य आकर्षण होता है।

पौष पूर्णिमा पर विशेष सुझाव (Paush Purnima Par Vishesh Sujhav)

  • प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने के लिए योजना बनाते समय संगम के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से सतर्क रहें।
  • गंगा स्नान के बाद किसी भी प्रकार का प्रदूषण न करें और पर्यावरण को स्वच्छ रखें।
  • स्नान के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करें।
  • स्थानीय प्रशासन के नियमों का पालन करें और पवित्र संगम तट पर अनुशासन बनाए रखें।

पौष पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व (Paush Purnima Ka Adhyatmik Mahatav)

पौष पूर्णिमा केवल स्नान और दान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का दिन है। इस दिन संगम पर स्नान करने से व्यक्ति अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर करता है और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होता है।

पौष पूर्णिमा का पर्व प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं को गंगा की पवित्रता, यमुना की शांत प्रवाह और सरस्वती की अदृश्य ऊर्जा का अनुभव करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

पौष पूर्णिमा 2025 का पर्व महाकुंभ का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्नान पर्व है। संगम पर स्नान, पूजा और दान-पुण्य के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने पापों से मुक्ति पाता है, बल्कि अपने जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध भी करता है। प्रयागराज महाकुंभ का यह दिन भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, जो हर श्रद्धालु के लिए एक अमूल्य अनुभव है।

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