चैत्र नवरात्रि 2025: नौवां दिन मां सिद्धिदात्री | Chaitra Navratri 2025: Ninth Day Maa Siddhidatri

चैत्र नवरात्रि 2025: नौवां दिन मां सिद्धिदात्री | Chaitra Navratri 2025: Ninth Day Maa Siddhidatri

चैत्र नवरात्रि का नवम दिन अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। नवमी के दिन पूजा, हवन और कन्या पूजन से नवरात्रि की पूर्णता मानी जाती है।

नवमी का महत्व (Navami Ka Mahatav)

मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों से विभूषित करती हैं। उनकी आराधना से जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती हैं, और साधक को आत्मिक शांति, भौतिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

इस दिन हवन और कन्याभोज का विशेष महत्व है। हवन के माध्यम से वातावरण को शुद्ध किया जाता है और देवी की कृपा प्राप्त की जाती है। वहीं, कन्या पूजन से मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का आशीर्वाद मिलता है।

नवमी पूजा की प्रक्रिया (Navmi Pooja Ki Prakriya)

1. स्नान और शुद्धिकरण

  • प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

2. मां सिद्धिदात्री की पूजा

  • मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  • पूजा सामग्री: लाल फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, शहद, नारियल, और मिठाई।
  • मंत्र जाप:
    “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • मां को तिल और सफेद मिठाई का भोग अर्पित करें।

3. हवन विधि

नवरात्रि के अंतिम दिन हवन करना नकारात्मकता को दूर करने और देवी को प्रसन्न करने के लिए अनिवार्य माना जाता है।

  • हवन सामग्री: आम की लकड़ी, गाय का घी, कपूर, जौ, चावल, तिल, और हवन कुंड।
  • हवन मंत्र:
    “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः” का 108 बार जाप करें।
  • हवन समाप्ति पर हाथ जोड़कर देवी को अपनी प्रार्थना अर्पित करें।

4. कन्या पूजन और कन्या भोज

नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है।

  • कन्या पूजन की तैयारी:
    • नौ कन्याओं को आमंत्रित करें।
    • उनके पैर धोकर उनका आदर करें।
    • प्रत्येक कन्या को रोली, चावल लगाएं और उन्हें फूलों की माला पहनाएं।
  • भोजन में क्या परोसें:
    • उन्हें पूरी, हलवा, चने और मिठाई खिलाएं।
    • भोजन के बाद दक्षिणा और उपहार भेंट करें।
    • कन्याओं को विदा करते समय चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें।

मां सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri ki Aarti)

जय सिद्धिदात्री माता, जय सिद्धिदात्री माता।  

तुमको निशदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥  

जय सिद्धिदात्री माता, जय सिद्धिदात्री माता।  

सिंह सवार हो विराजे, कमल पर बैठी भवानी।  

तुम हो शक्ति की देवी, देती हो वरदानी॥  

जय सिद्धिदात्री माता, जय सिद्धिदात्री माता।  

तुमसे हर सिद्धि पाए, सबका तुमने कष्ट मिटाया।  

भक्तों की सुनती हो बातें, सारा भवसागर पार कराया॥  

जय सिद्धिदात्री माता, जय सिद्धिदात्री माता।  

मां सिद्धिदात्री की पूजा का  शुभ मुहूर्त और तिथि  (Maa Siddhidatri Ki Pooja Ka Shubh Muhurat or Tithi)

  • मां सिद्धिदात्री पूजा: 6 अप्रैल 2025
  • कन्या पूजन का समय: सुबह 9:00 से 11:30 बजे तक।
  • हवन का समय: सुबह 11:45 से दोपहर 1:15 बजे तक।

मां सिद्धिदात्री की पौराणिक कथा (Maa Siddhidatri ki Pauranik Katha)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सिद्धियों का वरदान देकर सृष्टि संचालन में सहायक बनाया। शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही अर्धनारीश्वर का रूप प्राप्त किया। यही कारण है कि मां की पूजा से जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

नवमी का दिन भक्तों के लिए विशेष फलदायी होता है। मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन और कन्या पूजन से न केवल नवरात्रि की पूर्णता होती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।

इस नवरात्रि, मां सिद्धिदात्री की कृपा से अपने जीवन को सफल और सिद्धियों से परिपूर्ण बनाएं।

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