भगवान हनुमान, जिन्हें अंजनेय, पवनपुत्र, केसरीनंदन और राम भक्त हनुमान के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में अटूट भक्ति, अपार शक्ति और अद्वितीय सेवा भावना के प्रतीक हैं। हनुमान जी को भगवान शिव का रुद्रावतार माना जाता है। उनके जन्म की कथा का उल्लेख शिव पुराण, वाल्मीकि रामायण और अन्य पुराणों में मिलता है।
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Toggleहनुमान जी का जन्म – शिव पुराण और रामायण के अनुसार
1. शिव पुराण में हनुमान जी का जन्म (Shiva Purana – Kotirudra Samhita, Chapter 36-37)
शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लेने का निश्चय किया, तब भगवान शिव ने भी उनके साथ पृथ्वी पर अवतार लेने का संकल्प लिया।
- अंजनादेवी और केसरी –
भगवान शिव ने अपनी शक्ति से वानरराज केसरी और माता अंजना के घर पुत्र रूप में जन्म लिया। - पवन देव का आशीर्वाद –
माता अंजना को यह वरदान था कि उनके पुत्र को पवन देव का विशेष आशीर्वाद मिलेगा, इसलिए हनुमान जी को पवनपुत्र कहा जाता है।
📖 शिव पुराण (कोटिरुद्र संहिता, अध्याय 37) में वर्णन है:
“भगवान शंकर ने अपने अंश से रुद्र रूप में वानर स्वरूप में जन्म लिया। माता अंजना ने कठिन तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया, तब महादेव ने रुद्रांश के रूप में जन्म लेकर हनुमान स्वरूप धारण किया।”
2. वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी का जन्म (Valmiki Ramayana – Kishkindha Kanda, Sarga 66.8 -20)
वाल्मीकि रामायण में भी हनुमान जी के जन्म की कथा विस्तार से मिलती है।
- माता अंजना, एक अप्सरा थीं, जो ऋषि के श्राप से राजा कुंजर की इच्छानुसार रूप धारण करने वाली पुत्री के रूप में कपि योनि में जन्मी थीं। एक दिन जब वे मानवी स्त्री का रूप धारण कर के एक पर्वत शिखर पर विचार रही थी | तब उन्होंने पिले रंग की साड़ी पहन राखी थी जिसे वायुदेवता ने धीरे से हर लिया | और काम से मोहित होकर उन्होंने अंजना का अव्यक्त रूप से आलिंगन कर लिया | पतिव्रता होने के कारण अंजना तुरंत ही समझ गई और बोली – “कौन मेरे इस पतिव्रत का नाश करना चाहता है“ तब पवन देव ने उत्तर दिया कि “मैं तुम्हारे पतिव्रत का नाश नहीं कर रहा हूँ मैंने मानसिक संकल्प से तुम्हारे साथ समागम किया है जिससे ततुम्हे बल पराक्रम से संपन्न एवं बुद्धिमान पुत्र प्राप्त होगा |”
- और एक दिन पवन देव के आशीर्वाद से उनके गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ।
- जन्म के बाद, हनुमान जी को असीम शक्ति, वेग और बल प्राप्त हुआ।
📖 वाल्मीकि रामायण (किष्किंधा कांड, सर्ग 66, श्लोक 8 -20 ) में वर्णन है:
“वानरराज केसरी की पत्नी अंजना ने पुत्ररत्न को जन्म दिया, जो महाबली, महातेजस्वी और अत्यंत बुद्धिमान था। पवन देव की कृपा से जन्म लेने के कारण उसे ‘पवनपुत्र’ कहा गया।”
हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्ति, सेवा और मंत्र जप सबसे श्रेष्ठ माने गए हैं। उनके भक्तों को भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा मिलती है।
हनुमान जी की भक्ति के प्रमुख उपाय
✅ हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें।
✅ प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर जाएं।
✅ हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
✅ “ॐ हनुमते नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
✅ संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करें।
✅ ब्रह्मचर्य और शुद्ध आचरण का पालन करें।
✅ अपने जीवन में श्रीराम के आदर्शों को अपनाएं।
हनुमान जी की पूजा विधि | Hanuman Ji Ki Puja Vidhi
1. हनुमान जी की सरल पूजा विधि
🪔 प्रातः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
🪔 हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
🪔 गुड़ और चने का भोग लगाएं।
🪔 हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
🪔 सिंदूर और चमेली के तेल का लेप करें।
🪔 “ॐ रामदूताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमानः प्रचोदयात्” मंत्र का जाप करें।
🪔 हनुमान जी को लाल फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
2. विशेष मंगलवार/शनिवार व्रत विधि
📌 मंगलवार या शनिवार को निर्जला या फलाहार व्रत रखें।
📌 हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
📌 केले, गुड़-चना और बूंदी का प्रसाद बांटें।
📌 संध्या के समय दीप दान करें और राम नाम का जप करें।
हनुमान जी के शक्तिशाली मंत्र | Hanuman Ji Ke Shaktishali Mantra
हनुमान जी के मंत्रों का जाप करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और शनि के प्रभाव से रक्षा मिलती है।
1. हनुमान मूल मंत्र (Hanuman Mool Mantra)
“ॐ हनुमते नमः”
➡ यह मंत्र सभी कष्टों को दूर करता है।
2. हनुमान बीज मंत्र (Hanuman Beej Mantra)
“ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः”
➡ शत्रु बाधा, तंत्र-मंत्र और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने वाला मंत्र।
3. संकटमोचन मंत्र (SankatMochan Mantra)
“ॐ संकटमोचन हनुमानाय नमः”
➡ यह मंत्र जीवन में आने वाली हर विपत्ति को दूर करता है।
4. हनुमान गायत्री मंत्र (Hanuman Gayatri Mantra)
“ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमानः प्रचोदयात्।”
➡ यह मंत्र विद्या, बल और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
निष्कर्ष | Conclusion
हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार हैं और वाल्मीकि रामायण तथा शिव पुराण में उनके जन्म का उल्लेख मिलता है।
हनुमान जी की भक्ति से भय, कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, विशेष मंत्र जाप और व्रत करने चाहिए।
जो व्यक्ति हनुमान जी की सच्चे मन से आराधना करता है, उसके जीवन में किसी प्रकार का संकट नहीं आता।
🚩 जय श्री राम! जय बजरंगबली! 🚩
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