विष्णु पुराण – सृष्टि, समय और सनातन धर्म की व्याख्या | Vishnu Puran – Srishti, Samay aur Sanatan Dharm ki Vyakhya

Vishnu Puran

विष्णु पुराण अठारह महापुराणों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय ग्रंथ है। यह पुराण मुख्यतः भगवान विष्णु के दिव्य स्वरूप, उनके कार्यों, और सृष्टि के गूढ़ सिद्धांतों पर केंद्रित है।

विष्णु पुराण को वैष्णव धर्म का स्तंभ माना जाता है। इसमें न केवल भगवान विष्णु के अवतारों का विवरण है, बल्कि धर्म, समाज, खगोल, भूगोल और इतिहास से संबंधित विषयों की भी सुंदर व्याख्या की गई है।

संरचना और खंड विभाजन | Sanrachna aur Khand Vibhajan

विष्णु पुराण कुल छह खंडों (भागों) में विभाजित है और इसमें लगभग 23,000 श्लोक हैं। इसके प्रमुख भाग इस प्रकार हैं:

  • प्रथम अंश (Pratham Ansh) – सृष्टि की उत्पत्ति, त्रिदेवों की व्याख्या।
  • द्वितीय अंश (Dwitiya Ansh) – भूगोल, द्वीप, पर्वत, नदियाँ आदि।
  • तृतीय अंश (Tritiya Ansh) – मन्वंतर, राजवंशों की उत्पत्ति।
  • चतुर्थ अंश (Chaturth Ansh) – वंशों का इतिहास, पौराणिक चरित्र।
  • पंचम अंश (Pancham Ansh) – श्रीकृष्ण की लीलाएँ।
  • षष्ठ अंश (Shashthansh) – कलियुग, मोक्ष और धर्म की व्याख्या।

मुख्य विषयवस्तु | Mukhya Vishay Vastu

• सृष्टि की उत्पत्ति और त्रिदेवों की महिमा
इस पुराण में बताया गया है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल से हुई, जिसमें ब्रह्मा का जन्म हुआ और फिर सृष्टि की रचना हुई। शिव, ब्रह्मा और विष्णु – ये तीनों देव ब्रह्म से ही प्रकट हुए हैं।

• भूगोल और खगोलीय ज्ञान
द्वितीय अंश में सात द्वीपों (जम्बूद्वीप, प्लक्ष, शाल्मलि, कुश, क्रौंच, शक, पुष्कर) का विस्तारपूर्वक वर्णन है। इसके साथ ही ग्रहों, नक्षत्रों, सूर्य-चंद्रमा की गतियों का विवरण भी मिलता है।

• मन्वंतर और वंशावली
इसमें चौदह मन्वंतर बताए गए हैं, जिनमें विभिन्न मनुओं और उनके अधीन शासकों का शासन हुआ। साथ ही, सूर्य वंश और चंद्र वंश की वंशावलियाँ दी गई हैं, जिनमें श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे महान अवतार आते हैं।

• श्रीकृष्ण की लीलाएँ
पंचम अंश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर द्वारका स्थापना और कुरुक्षेत्र युद्ध तक की सभी लीलाओं का भक्तिपूर्ण वर्णन मिलता है। यह भाग भगवद्भक्ति से ओतप्रोत है।

• धर्म और मोक्ष मार्ग
षष्ठ अंश में कलियुग के प्रभाव, अधर्म की वृद्धि और मनुष्यों के पतन का वर्णन है, साथ ही मोक्ष प्राप्ति के उपाय — जैसे भक्ति, ध्यान, ब्रह्मचर्य और सत्कर्म — का निर्देश भी मिलता है।

विष्णु पुराण का विशेष महत्व | Vishnu Puran ka Vishesh Mahatav

  • भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन: यह पुराण भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों (राम, कृष्ण आदि) के माध्यम से धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश की गाथा सुनाता है।
  • धार्मिक और नैतिक शिक्षाएं: इसमें जीवन जीने के आदर्श मार्ग, कर्तव्यों का पालन, भक्ति, सत्य, करुणा और अहिंसा जैसे मूल्यों की शिक्षा दी गई है।
  • सृष्टि की रचना और विनाश का वर्णन: यह पुराण बताता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश (त्रिमूर्ति) सृष्टि के निर्माण, पालन और संहार के लिए कैसे कार्य करते हैं।
  • कालचक्र और युगों का विवरण: विष्णु पुराण में चार युगों — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग — का उल्लेख है और बताया गया है कि धर्म कैसे हर युग में परिवर्तित होता है।
  • भक्तों के लिए मार्गदर्शक: यह ग्रंथ भगवान की भक्ति, मंत्र-जप, ध्यान, और व्रतों की महत्ता पर जोर देता है। इसके अनुसार सच्ची भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है।
  • इतिहास और परंपराओं का संकलन: इसमें अनेक राजाओं, ऋषियों और देवताओं की कथाएं हैं, जो भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं को जोड़ती हैं।
  • वैष्णव धर्म का आधार: यह पुराण वैष्णव संप्रदाय के लिए अत्यंत पवित्र और मूल ग्रंथ माना जाता है।

निष्कर्ष | Conclusion

विष्णु पुराण न केवल भगवान विष्णु की लीलाओं का दस्तावेज है, बल्कि यह संपूर्ण सनातन धर्म के सिद्धांतों को भी एक साथ समाहित करता है। इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण, भक्तिपथ, नीतिशास्त्र और मोक्ष मार्ग को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है।

यह पुराण छह अंशों (खंडों) में विभाजित है और इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, त्रिलोक की व्यवस्था, राजवंशों का इतिहास, युगों का वर्णन, तथा धर्म और अधर्म के संघर्ष की गाथाएँ विस्तार से मिलती हैं। विष्णु पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार भक्तिपूर्वक भगवान विष्णु का स्मरण और सेवा करने से व्यक्ति संसार बंधनों से मुक्त होकर परम पद प्राप्त कर सकता है। इसमें वर्णाश्रम धर्म की भूमिका, समाज के नैतिक मूल्य, गुरुओं की महिमा और पारिवारिक कर्तव्यों को भी समझाया गया है। यह ग्रंथ जीवन के प्रत्येक पहलू को धर्म के आलोक में देखने की प्रेरणा देता है। विष्णु पुराण एक ऐसा ग्रंथ है जो आस्था, ज्ञान और व्यवहारिक जीवन के संतुलन को दर्शाता है।

Read More :

The 18 Puranas of Sanatan Dharma

Padma Puran

Brahma Purana

Share this article